पटना: बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने साल 2022 के जाते-जाते वतर्मान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने बड़ी मांग रखी दी। जीतन राम मांझी ने कहा कि, बिहार में गुजरात की तर्ज पर परमिट के आधार पर शरा’बबंदी में छूट देनी चाहिए। जिसके बाद मांझी के इस बयान को लेकर एक बार फिर से सियासत गर्म हो गई। इसी कड़ी में अब बिहार विधानसभा के नेता विरोधी दल विजय कुमार सिन्हा ने भी मांझी के इस मांग पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करवाई है।
बिहार भाजपा के नेता और विधानसभा के नेता विपक्षी दल ने कहा कि, मांझी जी के इस बात के बाद सरकार को यह सोचना चाहिए की उनकी पुलिस महकमा क्या रही है यह तो उनकी नाकामी है। राज्य सरकार को यह सोचना चाहिए की हमारी योजना में कहां कमी रह गई है और इसके साथ उसे दूर करने पर ध्यान देना चाहिए। इसको लेकर वो लिमिट करें या सिमिति करें यह उनकी सोच है। हमारा कहना यह है कि, पूर्ण न’शाबंदी के लिए अपने आप को सगज करना होता है, नियत साफ़ रखना होता है। लेकिन, आप तो अवै’ध शरा’ब का कोरोबार करने वाले को अपना प्रत्याशी बनाते हैं। जो गरीब परिवार के लोग गलती से श’राब पी लेते हैं तो उन्हें जेल भेज दिया जाता है। अब यह साफ़ है कि सीएम का नियत साफ़ नहीं है, इसी कारण यह गड़बड़ हो रहा है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, नीतीश कुमार जे साथ शामिल लोग ही यह मान रहे हैं कि शरा’बबंदी फेल हैं तो फिर झूठा नाटक क्यों कर रहे हैं। भाजपा के लोग तो हमेशा से शरा’बबंदी के पक्ष में रही है। आप हमेशा से न’शाबंदी से पक्ष में रहे हैं फिर आप घूम कर श’राबबंदी पर क्यों आ जाते हैं। आज वाइट जहर राज्य के समूचा नौजवानों के बीच जा रहा है। लेकिन इनको तो श’राबबंदी के नाम पर अपरा’धियों का एक गि’रोह खड़ा करना है।
इसके साथ ही उन्होंने नियुक्ति पत्र मामले को लेकर कहा कि यह एक छलावा है। यह सरकारी नौकरी जन हमलोग साथ थे तभी निकली थी। ये लोग सभी का नियुक्ति पत्र रोक कर रखें थे और आज यह बांट रहे हैं। इसके मन में हमेशा से छल रहा है। लेकिन, हमलोग भी जल्दी ही इनका सारा पोल खोलेंगे और बताएँगे ये लोग किस तरह बिहार कि जनता को ठग रहे हैं।
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