पटना: पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे से नाराज चल रहे उनके पिता और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की जगह राष्ट्रीय जनता दल के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय कर लिया गया है। लालू के सिंगापुर जाने से पहले अब्दुल बारी सिद्दीकी को नया प्रदेश अध्यक्ष का पदभार सौंप दिया जाएगा।
जगदानंद सिंह को लेकर बिहार में सियासत भी शुरू हो गई है। हालांकि जेडीयू ने कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के बदले जाने से महागठबंधन की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। जेडीयू संसदीय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि जगदानंद सिंह अध्यक्ष रहेंगे या नहीं, यह आरजेडी का मामला है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष कोई भी रहे इसका गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष के बदले जाने से गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है। आरजेडी कैसे चीजों को देख रही है यह उनका अंदरूनी मामला है लेकिन जिस तरह से आरजेडी का मामला बाहर आ रहा था, उसको लेकर तरह तरह की चर्चाएं हो रही थीं। जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह का जिस तरह से सरकार के खिलाफ बयान आ रहा था उसपर आरजेडी ने कार्रवाई की। जगदानंद सिंह काफी पुराने नेता हैं। कई बार उनकी बातें समझ में नहीं आती हैं। उन्होंने कहा कि जेडीयू को उनकी बातों को समझने की कोई जरूरत भी नहीं है, ये उनकी पार्टी का मामला है और पार्टी ही इसपर निर्णय लेगी। जगदानंद सिंह रहेंगे या नहीं रहेंगे,यह आरजेडी का मामला है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष कोई भी रहे इसका असर गठबंधन पर पड़ने वाला नहीं है।
वहीं राहुल गांधी के सावरकर को लेकर दिए गए बयान पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बातों को रखने का तौर तरीका भले ही अलग हो सकता है लेकिन कुछ बातें तो उन्होंने सही कही हैं। यह बात सौ फीसदी सच है कि आरएसएस और उससे जुड़े लोगों की देश की आजादी में कोई भूमिका नहीं रही है। आरएसएस की जो विचारधारा रही है उसे हर कोई मंजूर नहीं कर सकता है। भारत में सभी को एक साथ लेकर चलने की परंपरा रही है और यही हमारी पहचान भी है लेकिन आरएसएस के लोग अलग तरीके से बात करते हैं। लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने की छूट है लेकिन किसी की बात से कोई भी असहमत हो सकता है।
वहीं कुढ़नी विधानसभा पर होने वाले उपचुनाव को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कुढ़नी में महागठबंधन के पलड़ा इतना भारी है कि वहां कही कोई दूर दूर तक नहीं है। कुछ लोगों ने सिर्फ वोट काटने के लिए अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वोटर्स को इस बात को सोंचना है कि कौन चुनाव जीतने के लिए लड़ रहा है और कौन वोट काटने के लिए चुनाव मैदान में उतरा है। लोगों को इस बात को ध्यान में रखकर वोट करने की जरूरत है। गोपालगंज के उपचुनाव में इसका असर दिखा लेकिन हर जगह ऐसा नहीं होगा। कुढ़नी में जिस तरह से वोटर्स का समीकरण है उसके हिसाब से महागठबंधन के सामने कोई चैलेंज नहीं है।
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