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बिहार: सुप्रीम कोर्ट के EWS फैसले से दलित-पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने की मांग शुरू

बिहार: जब से सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से पिछड़ों (EWS) को दस फीसदी अतिरिक्त आरक्षण का लाभ दिया है तब से आरक्षण को लेकर नई सियासत शुरू हो गई है। झारखंड की तरफ से आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने के फैसले के बाद से ही बिहार में भी इसकी मांग तेज हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट के EWS फैसले से दलित-पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने की मांग शुरू, बिहार के नेताओं ने पकड़ा झारखंड का सुर

पूर्व मुख्यमंत्री और हम के संस्थापक जीतन राम मांझी ने कहा है कि बिहार में भी आरक्षण का दायरा बढ़ना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया है कि जब पड़ोसी राज्य झारखंड में आरक्षण का दायरा बढ़ गया है तो हम क्यों पीछे रहे? मुख्यमंत्री से आग्रह है कि जिसकी जितना संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी के तर्ज पर आबादी के हिसाब से आरक्षण लागू कर नजीर पेश करें।

मांझी की इस मांग का समर्थन जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने किया। वहीं बिहार में महागठबंधन का हिस्सा भाकपा माले की तरफ से भी प्रदेश में आरक्षण की सीमा को 77 फीसदी तक बढ़ाने की मांग की गई है। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने मांग की है कि झारखंड की तरह ही बिहार में भी नौकरियों में आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 77 प्रतिशत किया जाए।

गौरतलब है कि जब सुप्रीम कोर्ट का EWS कोटे को लेकर फैसला आया था नीतीश कुमार ने इस फैसले का स्वागत करने के साथ इस बात का भी जिक्र किया था कि अब आरक्षण के पचास प्रतिशत दायरो को बढ़ाना चाहिए। इस सब के बीच झारखंड में आरक्षण की सीमा जैसे ही 77 प्रतिशत कर दी गई। बिहार में भी इसको लेकर सियासी हलचल तेज हो गई। लोग नीतीश के उस बयान पर कयास लगाने लगे कि बिहार में भी ऐसा हो सकता है।

 

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