असदुद्दीन ओवैसी बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के लिए हमेशा का सिरदर्द बन गए हैं। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का प्रभाव पहले बिहार के सीमांचल क्षेत्र तक ही सीमित थी, मगर अब उसने अन्य इलाकों में भी अपनी जड़ें जमाना शुरू कर दिया है। इससे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की चिंता बढ़ गई है। हाल ही में गोपालगंज में हुए उपचुनाव में एआईएमआईएम के कैंडिडेट ने 12 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए। जबकि आरजेडी की हार का अंतर 1800 से भी कम रहा।
असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने 2020 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में उसने सीमांचल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया था और पांच सीटों पर जीत दर्ज की। एआईएमआईएम की राजनीति मुस्लिमों तक सीमित है। सीमांचल मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है, इसलिए यहां पार्टी को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। हालांकि, सीमांचल में ओवैसी की पार्टी के जो पांच एमएलए 2020 में चुनाव जीते, उनमें से चार इस साल आरजेडी में शामिल हो गए। ओवैसी इससे बहुत खफा नजर आए थे।
सीमांचल से बाहर आरजेडी की टेंशन बढ़ा रही AIMIM
अब एआईएमआईएम बिहार के अन्य इलाकों में भी खुद को मजबूत कर रही है और खासकर आरजेडी को चुनौती दे रही है। क्योंकि आरजेडी के कोर वोटर मुस्लिम और यादव हैं, जिनमें से ओवैसी मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में ओवैसी की पार्टी ने गोपालगंज से प्रत्याशी उतारा और 12 हजार से ज्यादा वोट लाकर चौंका दिया। इसका नुकसान सीधे तौर पर आरजेडी प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता को हुआ और उन्हें बीजेपी प्रत्याशी कुसुम देवी से करीबी मुकाबले में हारना पड़ा। अगर एआईएमआईएम प्रत्याशी अब्दुल सलाम को 12 हजार वोट नहीं मिलते, तो आरजेडी की जीत हो सकती थी।
ओवैसी बीजेपी की बी टीम? कितना सच
असदुद्दीन ओवैसी पर बीजेपी की बी टीम होने के आरोप लगते रहते हैं। दरअसल, उनकी पार्टी जिस सीट पर चुनाव लड़ती है, तो वहां दूसरी पार्टियों के मुस्लिम वोटर्स उसके पास आ जाते हैं। इससे दूसरी पार्टियों को नुकसान होता है और बीजेपी को इसका फायदा मिल जाता है। हाल ही में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बताया था, जिसके बाद सियासी घमासान मच गया था।
तेजस्वी के लिए परमानेंट हेडेक बने ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी अब तेजस्वी यादव के लिए परमानेंट हेडेक बन गए हैं। अगले महीने मुजफ्फरपुर की कुढ़नी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में भी AIMIM ने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है। वहां भी ओवैसी की पार्टी मुस्लिम वोटबैंक में सेंधमारी करेगी। उसका नुकसान सीधे आरजेडी को होगा। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी एआईएमआईएम बड़े स्तर पर आरजेडी को नुकसान पहुंचा सकती है।
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