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22 लाख की चांदी के ठट्टर पर विराजमान हैं बड़ी दुर्गा महारानी, 32 कहार देते हैं कांधा

मुंगेर: दशहरा का आगाज होते ही श्रद्धालु भक्ति के रस में डूब जाते हैं. माहौल में दुर्गा स्तुति का पाठ गुंजायमान होने लगता है. नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के स्वरूपों की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है.बिहार के मुंगेर के लोग मां दुर्गा की पूजा में लीन हैं. यहां के शादीपुर मोहल्ले में बड़ी दुर्गा महारानी की भव्य मंदिर अवस्थित है जहां नवरात्र में बड़ी दुर्गा महारानी की लगभग 25 फीट की भव्य और आकर्षक प्रतिमा बनाई जाती है.भक्तों का कहना है कि पूरे भारत में बड़ी दुर्गा महारानी की प्रतिमा सबसे अलग दिखती है और काफी शक्तिशाली है. श्रद्धालुओं का यह भी कहना कि बड़ी दुर्गा महारानी से मांगी मुरादें कभी अधूरी नहीं रहती.

मां दुर्गा की प्रतिमा में लगाया गया है 40 किलो चांदी के ठट्ठर
मंदिर के मुख्य पुजारी महाराज दीपक कुमार मिश्रा द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, इस बार की तैयारी अलग है. बड़ी दुर्गा महारानी की प्रतिमा में हर वर्ष सोने-चांदी के जेवरात लगते हैं, लेकिन इस बार यह कुछ खास है क्योंकि प्रतिमा में जो हर साल कागज या अन्य मेटेरियल की ठट्ठर लगती थी, उसे इस बार बदलकर चांदी का किया गया है. इसका वजन 40 किलो है और इसकी कुल लागत लगभग 22 लाख रुपये है. मां दुर्गा के भक्त ने इसको गुप्त दान के रूप में दिया है.

32 कहार के कंधों पर उठती है बड़ी दुर्गा
मुख्य पुजारी ने आगे बताया कि बड़ी दुर्गा महारानी की एक और बहुत खास बात यह है कि माता की प्रतिमा विसर्जन के वक्त जब तक 32 कहार नहीं लगते, तब तक माता अपने स्थान से नहीं उठती हैं. यदि एक भी कम हुआ तो भी माता उस स्थान से हिलती तक नहीं हैं. इसे माता का चमत्कार कहा जा सकता है.

पहले दिन से ही मां दुर्गा की प्रतिमा की होती है पूजा
पुजारी ने बताया कि यह एकमात्र मंदिर है जहां नवरात्र के पहले दिन से ही माता की प्रतिमा की पूजा होने लगती है. अक्सर यह देखा जाता है कि प्रत्येक दुर्गा मंदिर में नवरात्र के सप्तमी या अष्टमी के दिन से माता कि प्रतिमा की पूजा आरंभ होती है, लेकिन बड़ी दुर्गा मंदिर में प्रतिमा की पूजा पहले दिन से ही विधिवत शुरू हो जाती है.

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