बिहार के मसौढ़ी में प्याज किसान इन दिनों अपनी प्याज की खेती लेकर बेहद परेशान चल रहे हैं. किसानों ने नकदी फसल के रूप में सैकड़ों हेक्टेयर में प्याज की खेती की थी, लेकिन किसानों को प्याज के लिए खरीदार नहीं मिल रहा है. मसौढ़ी अनुमंडल क्षेत्र में लगभग 2000 हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती हर वर्ष की जाती है, मसौढ़ी प्रखंड की भैंसवां पंचायत में तकरीबन 100 किसान 500 एकड़ में प्याज की खेती करते हैं।
हजारों एकड़ में प्याज: इस बार प्याज का खरीदार नहीं मिलने से हजारों एकड़ में लगी प्याज सड़ कर बर्बाद हो रही है. वैसे नकदी फसल के रूप में प्याज की दोगुनी आय किसानों को होती है और इस बार भी पर उम्मीद थी की उन्हें मोटी कमाई होगी. लेकिन प्रकृति के मार कहें या फिर सरकार की उदासीनता के कारण किसानों के उगाये प्याज खलिहानों में सड़ कर बर्बाद हो रहे हैं. बता दें कि प्याज की बिक्री नहीं हो रही है, किसानों की माने तो बाहर जाने वाले प्याज इस बार बिहार में ही है, जिसके कारण बड़े-बड़े व्यापारी इस बार बिहार से प्याज से नहीं ले जा पा रहे हैं.
सीताराम सिंह, किसान ने बताया “फसल क्षति का मुआवजा दिया जाए, मसौढ़ी प्रखंड के 17 पंचायत में तकरीबन सैकड़ों किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और प्याज हर किसान के घर में ऐसे ही बर्बाद हो रहा है. एक तरफ सरकार कृषि रोडमैप बना रही है, किसानों के हित में लंबी चौड़ी बातें करती हैं, लेकिन आज भी किसान वैसे ही हैं सिर्फ किसान को सरकार ठगने का काम कर रही है.”
किसानों ने की सरकार से मांग: नगदी फसल प्याज को लेकर किसान इस बार बेहद परेशान हैं. पटना के ग्रामीण इलाकों में सैकड़ों हेक्टेयर में लगे प्याज को खरीदार नहीं मिल रहा है. किसानों ने सरकार से मांग किया है कि बड़े-बड़े व्यापारी जो बिहार आकर प्याज ले जाते हैं, उनके लिए एक मौका दें, एलसी नहीं खुलने के कारण बड़े-बड़े व्यापारी बिहार आकर प्याज नहीं खरीद पा रहे हैं.
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