पितृपक्ष के दौरान नीतीश सरकार की गया में ऑनलाइन पिडंदान कराने की योजना पर विष्णुपद मंदिर कमेटी ने आपत्ति जताई है। मंदिर कमिटी के अध्यक्ष शभूलाल विट्ठल ने कहा कि ऑनलाइन पिंडदान कराने से कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। शास्त्रों के अनुसार गया में आकर सशरीर पिंड दान करने से ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। सरकार के साथ ही कुछ ब्राह्मण ऑनलाइन पिंडदान करवाकर श्रद्धालुओं को ठ’ग रहे हैं।
श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल और वरीय सदस्य एवं गयापाल महेश लाल गुपुत ने राज्य सरकार के ऑनलाइन पिंडदान पैकेज का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन तरीके से सिर्फ दर्शन का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन शास्त्र के अनुसार संतान को ही पिंडदान करना होता है। पिता का पुत्र अंश होता है। अंश को ही सशरीर पिंड देने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शंभूलाल ने बुधवार को कहा कि पितृपक्ष के लिए गयाधाम में बहुत सारे कथावाचक आए हैं। इनमें से कुछ पितृपक्ष के दौरान गरुड़ पुराण सुनाएंगे, जो उचित नहीं है। गरुड़ पुराण मृत्यु के दिन से दशकर्म के बीच ही सुनना चाहिए। यह कथा सार्वजनिक नहीं होना चाहिए। पर्यटन विभाग ने जो पैकेज या ऑनलाइन पिंडदान शुरू किया है, यह उचित नहीं है। श्रद्धा का नाम श्राद्ध है। सरकार के साथ ही कुछ कथाकथित ब्राह्मण ऑनलाइन पिंडदान करवाकर पिंडदानियों को ठग रहे हैं।
अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने कहा कि कुछ पंडित पिंडदान नहीं करने और सिर्फ भागवत कथा सुनने की सलाह देते हैं, यह भी उचित नहीं है। गयापाल इसका घोर विरो’ध करता है। पिंडदान का पैकेज भी ठीक नहीं है। पिंडदान करने से पहले गयापाल की आज्ञा लेनी जरूरी होती है। अंत में पंडा से सुफल लेकर ही पिंडदान का समापन होता है। इसके बाद ही पितरों को मोक्ष मिलता है।
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