बिहार के गोपालगंज जिले में पदस्थ कलेक्टर डॉक्टर नवल किशोर चौधरी के एक कदम से न केवल स्कूली छात्र खुश हैं, बल्कि उनकी कार्यशैली की हर तरफ तारीफ भी हो रही है.
गोपालगंज के डीएम स्कूली बच्चों से रूबरू होकर उनसे बात की, उन्हें पढ़ाया और खुश होने पर चॉकलेट भी दी. उन्होंने बच्चों से सवाल पूछे और छात्रों ने स्वछंद होकर उनके सवालों के जवाब भी दिए. जिले के कलेक्टर को शिक्षक के रूप में देखकर छात्र भी काफी खुश दिखे.
दरअसल, गोपालगंज के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी मध्य विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया. इस दौरान डीएम ने क्लास रूम में बच्चों से कई सवाल भी पूछे. बच्चों ने सवालों के जवाब भी दिए. इसके बाद डीएम खुद शिक्षक की भूमिका में आ गए और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. हाथ में चॉक और डस्टर लेकर ब्लैकबोर्ड पर गणित के सवाल लिखने लगे और बच्चों से इसका जवाब भी पूछने लगे.
कलेक्टर डॉक्टर नवल किशोर चौधरी बरौली प्रखंड के कहला पंचायत में मिडिल स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने जब बच्चों को देखा तो खुद शिक्षक की भूमिका में आ गए और ब्लैकबोर्ड पर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. पढ़ाने के दौरान बच्चों को पता नहीं था कि वह जिला के कलेक्टर साहब हैं. डीएम ने छात्रों को पर्यावरण सुरक्षा पर संदेश भी दिया. साथ ही गणित से जुड़े सवाल भी पूछे.
बच्चों ने डीएम साहब को सुनाई कविता
डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी मध्य विद्यालय के बाद कहला पंचायत के एक आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचे. वहां बच्चों उपस्थिति देख खुद जांच करने लगे. साथ ही उपस्थित नन्हें-मुन्ने बच्चों से कविता सुनाने को कहा. कई बच्चे हिचक को नहीं खोल पाए, लेकिन एक बच्ची ने बैठे-बैठे ही कविता सुनाई. इससे डीएम साहब खुश होकर बच्ची को चॉकलेट दिया. उसके बाद अन्य भी चॉकलेट या बिस्कुट पाने के लिए कविताएं सुनाने लगे. डीएम का कहना है कि बच्चों में काफी हिचक रहती है. ऐसे में जानकारी होते हुए भी अधिकांश बच्चे प्रश्न का उतर नहीं दे पाते हैं.
बच्चों को प्रोत्साहित करने का तरीका
गोपालगंज के डीएम ने कहा कि बच्चों को सरल भाषा में पढ़ाने से उनमें समझने की क्षमता बढ़ती है. इसलिए वह जहां भी जांच करने के लिए जाते हैं, वहां के विद्यालयों में शिक्षक के पढ़ाने के तरीके को जानने की कोशिश करते हैं. इसके बाद वह खुद बच्चों को सरल भाषा में पढ़ाते हैं.
कलेक्टर आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे को उत्साहित करने के लिए उन्हें चॉकलेट या बिस्कुट देकर उन्हें प्रोत्साहित भी करते हैं. डीएम ने यहां स्कूल की समस्या और सुविधाओं को लेकर प्रिंसिपल और शिक्षकों से भी बातचीत की. स्कूल में बच्चों की उपस्थिति कम होने को लेकर अभिभावकों को भी कई निर्देश दिये गये.
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