उद्घाटन के 31 माह बाद ही 35 करोड़ की लागत से बने एसकेएमसीएच परिसर स्थित एमसीएच की हालत चरमरा गई है। यहां विगत आठ माह से लिफ्ट बंद है। करीब एक सौ सीढ़ी चढ़कर गर्भवती और प्रसूती को पांचवें तल्ले पर स्थित अपने बेड तक पहुंचना पड़ रहा है, जबकि इतनी सीढ़ियां चढ़ना स्वस्थ्य व्यक्तियों के लिए भी कठिन है। यहां हर रोज 15 से 20 प्रसव और पांच से दस ऑपरेशन किये जाते हैं। अभी सौ मरीज भर्ती हैं। बावजूद इनकी परेशानी पर अस्पताल प्रशासन का ध्यान नहीं है।
अस्पताल में अधिकतर शौचालय बंद पड़े हैं, जो खुले भी हैं, वह इतने गंदे हैं कि मरीज को अस्पताल से बाहर सुलभ शौचालय में जाना पड़ता है। मरीजों को यहां पीने के लिए शुद्ध पानी तक नहीं मिल पा रहा है। आरओ है, लेकिन सिर्फ दिखने के लिए।
महिला व प्रसव विभाग की अध्यक्ष डॉ. आभा रानी सिन्हा ने बताया कि मरीजों के साथ ही डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को भी परेशानी हो रही है। इसकी शिकायत पत्र लिखकर अस्पताल प्रसाशन से की गई है। बता दें कि सुरक्षित प्रसव के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति ने बीएमआईसीएल की देखरेख में एसकेएमसीएच परिसर में एमसीएच का निर्माण कराया था। इस अस्पताल का 24 सितम्बर 2019 को उद्घाटन किया गया था।
अस्पताल में एक नहीं, अनेक परेशानियां हैं। ओटी और लेवर रूम में लगया गया यूपीएस जर्जर है। लेवर रूम की एक नर्स ने बताया कि बिजली कटने के बाद मोबाइल की रोशनी में मरीजों को प्रसव कराना पड़ता है। ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर ने बताया कि एमसीएच में एक नहीं, अनेक परेशानियां हैं। सालभर से आईसीयू, ओटी, लेवर रूम, डॉक्टर कक्ष समेत कई जगहों पर लगाई गई करीब सौ एसी बंद पड़ी है। गर्मी में काफी परेशानी होती है।
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