धार्मिक मत है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। अगर आप अपने जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ करें। माना जाता है कि इसका पाठ करने से रोगों का नाश होता है और जातक को जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होती है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। इसके अगले दिन यानी 29 नवंबर को सुबह 08 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार पंचांग के अनुसार, 28 नवंबर को मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत किया जाएगा।
प्रदोष की पूजा कब करें: पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत 28 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 05 बजकर 24 मिनट से लेकर 08 बजकर 06 मिनट तक है। पूजा की कुल अवधि 02 घण्टे 42 मिनट्स रहेगी।
शिव पूजन की आसान विधि: स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। अब प्रदोष व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।
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