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खत्म हुआ 88 साल का इंतजार, कोसी और मिथिलांचल के बीच शुरू हुई रेल सेवा

सुपौल जिले के लोगों के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा। जब पहली बार निर्मली रेलवे स्टेशन पर झंझारपुर से सवारी गाड़ी निर्मली होते हुए कोसी महासेतु होकर सुपौल ,सहरसा तक के लिए प्रस्थान किया। रेल मंत्री अश्वनी बैष्णव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हरी झंडी दिखाकर मधुबनी जिला के झंझारपुर रेलवे स्टेशन से दोपहर 2:12 बजे रवाना किए।

historical moment rail journey starts from mithila to kosi after 88 years  ksl | Historical moment: रेल सफर शुरू होते ही 88 साल बाद एक हुई मिथिला,  समृद्धि और आर्थिक विकास का खुला द्वार

झंझारपुर से गाड़ी नंबर 05553 को दो पायलट मनोज कुमार यादव व छोटे कामेत ने घोघरडीहा होते हुए 3:26 बजे निर्मली रेलवे स्टेशन पहुंची। निर्मली स्टेशन पर मात्र 2 मिनट ट्रेन रुकी और 3:28 बजे फिर आसनपुर कूपहा के लिए रवाना हो गई। ट्रेन निर्मली पहुंचते ही लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा लोगों ने ताली बजाकर स्वागत करते हुए खुशी जाहिर किया। स्टेशन परिसर में निर्मली सहित सुपौल मधुबनी जिले के दर्जनों गांव के लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगो ने ऐतिहासिक पल को अपने नजरों से देखा। सुपौल रेलवे स्टेशन 5 बजकर 1 मिनट ट्रेन पहुंची। जहां लोगों ने स्वागत किया।

1934 में आए विनाशकारी भूकंप में कोसी मिथिलांचल दो भागों में विभक्त हो गई थी। तब से लेकर आज तक 88 सालों के लम्बे सफर के बाद 7 मई का दिन ऐतिहासिक रहा जो एक बार फिर कोसी और मिथिलांचल एक सूत्र में बंधा गया।पहली बार निर्मली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन चलने को लेकर कुल 1390 का टिकट काटा गया।

Bihar: Train service started between Kosi and Mithilanchal after 88 years -  खत्म हुआ 88 साल का इंतजार, कोसी और मिथिलांचल के बीच शुरू हुई रेल सेवा

बड़ी संख्या में लोगो ने टिकट कटाकर रेल का सफर तय किया। रेल पर निर्मली से पहली बार सफर करने वालो में चंदन कुमार, त्रिलोक कुमार, मनोज कुमार, जावेद रंगरेज, तारिक अनवर आदि लोगों ने बताया कि पहली बार निर्मली रेलवे स्टेशन से आसनपुर को कोसी महासेतु होते हुए सरायगढ़ भपटियाही व सुपौल के लिए सफर किया है। जिससे वह खुशी महसूस कर रहा है। कहा कि 88 साल का सपना पूरा हो गया। ट्रेन से पहली बार कोसी व मिथिलांचल का सफर तय किया है।

जीवनेश्वर साह, अभिषेक पंसारी, राजेन्द्र कामत, मो.नसीम, ई.विनोद कुमार, रामनरेश यादव, विनोद मोर, कपिल देव साह, आदि लोगों ने बताया कि 88 साल बाद आज इस इलाके के लोगों का सपना साकार हो गया। लोगों ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा की अगर निर्मली में रेक पॉइंट, आरओबी व मेल एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जाएगी तो इस इलाके का व्यवसाय बेहतर हो जाएगा। लोगों ने बताया कि निर्मली से दरभंगा व सहरसा जाने के लिए बस में मनमाने भाड़े 140 से 200 रुपया तक किराया वसूला जाता था। अब मात्र 20 रुपया में ही निर्मली से दरभंगा व सहरसा तक का लोग सफर कर पाएंगे। वहीं लोगों को समय का भी बचत होगा।

कोसी और मिथिलांचल का एकीकरण होने से स्थानीय लोगों में खुशी व्याप्त है। शनिवार को ट्रेन 4 बजे सरायगढ स्टेशन पहुंची और 4:15 बजे सुपौल के लिए रवाना हो गई। झंझारपुर से सरायगढ तक पहुंचने में ट्रेन को एक घंटा 50 मिनट का समय लगा। लोको पायलट मनोज कुमार यादव, सहायक लोको पायलट एनके उज्जवल, डीआई हरीश कुमार सिंह, स्टेशन अधीक्षक रामबाबू सहित अन्य ने कहा कि बहुत ही खास और सुनहरा अवसर है कि 88 वर्षों के बाद पहली बार उसी और मिथिलांचल को जोड़ने वाली पहली ट्रेन चलाकर झंझारपुर से सरायगढ़ पहुंची है। पहली बार झंझारपुर से सरायगढ़ का स्टेशन पहुंचने में हर जगह आम लोगों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। अन्य लोगों में काफी उत्साह देखा गया। बताया जाता है कि 1934 में भूकंप आने के बाद कोसी और मिथिलांचल दो भागों में विभक्त हो गया था। इसको लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने 6 दिसंबर 2003 को निर्मली महाविद्यालय के प्रांगण  कोसी और मिथिलांचल को एकीकरण करने को लेकर शिलान्यास किया था।
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