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गरीबनाथ मंदिर में पूजापाठ के नए नियम : शपथ लेने पर ही गरीबों के बाबा गरीबनाथ

मुजफ्फरपुर : बाबा गरीबनाथ मंदिर में 101 रुपये देकर भक्त श्री सत्यनारायण पूजन करा सकेंगे, मगर इससे पहले उन्हें शपथ लेनी होगी। उन्हें इस आशय की शपथ लेनी होगी कि वे श्री सत्यनारायण पूजन के लिए निर्धारित सामान्य राशि देने में सक्षम नहीं हैं। मंदिर में उक्त पूजन के लिए 501 रुपये सामान्य राशि निर्धारित की गई है। यह निर्णय श्री गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति की हुई बैठक में लिया गया।

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प्रमंडलीय आयुक्त व न्यास के अध्यक्ष मिहिर कुमार सिंह की अध्यक्षता में मंदिर की सुरक्षा समेत कई बिंदुओं पर निर्णय लिए गए। विदित हो कि बाबा गरीबनाथ मंदिर में श्री सत्यनारायण पूजन के लिए सामान्य निर्धारित राशि 501 रुपये तय की गई थी। इसे लेकर विवा’द हो गया था।

मंगलवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने न्यास के अध्यक्ष से मोबाइल पर बात कर इस बिंदु पर विचार करने को कहा था। इसके बाद न्यास समिति ने निर्णय लिया कि भक्त यह शपथ लेंगे कि वे सामान्य निर्धारित राशि देने में सक्षम नहीं हैं तो अधिकतम 101 रुपये में उक्त पूजन करा सकेंगे। इसमें एक रुपये ही मंदिर प्रबंधन लेगा।समिति ने यह भी निर्णय लिया कि भक्त को श्री सत्यनारायण पूजन एवं शिव भक्ति की एक-एक पुस्तिका दी जाएगी। इससे उन्हें पूजन विधि की जानकारी हो सकेगी। पूजन के लिए अतिरिक्त कोई भी राशि दक्षिणा के रूप में नहीं ली जाएगी। इसकी सूचना महत्वपूर्ण स्थलों पर प्रदर्शित भी की जाएगी।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि मंदिर की सुरक्षा में पूर्व सैनिकों को लगाया जाएगा। मंदिर में कार्यरत पुजारियों के मानदेय में वृद्धि के प्रस्ताव को भी अनुमोदित किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर, पटना हनुमान मंदिर जैसे बड़े मंदिरों की तरह परिसर में जो राशि चढ़ावे के रूप में प्राप्त होगी, उसे मंदिर कोष में जमा किया जाएगा। बैठक में उपाध्यक्ष व एसडीओ पूर्वी ज्ञान प्रकाश, सचिव एनके सिन्हा, कोषाध्यक्ष पुरेंद्र प्रसाद एवं अन्य सदस्य मौजूद थे।

बाबा गरीबनाथ मंदिर में पिछले दिनों हुई बैठक में हं’गामा करने पर पुजारी अभिषेक पाठक के खिला’फ कार्रवाई की गई है। उन पर एक साल तक के लिए मंदिर में पूजा कराने पर रोक लगा दी गई है। बुधवार को श्री गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बताया गया कि पुजारी ने न्यास समिति और अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी कर शक्ति प्रदर्शन किया। इस मामले में उन्हें दो’षी माना गया। मंदिर के बाहर पूजा कराने को वे स्वतंत्र होंगे।

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