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बिहार में इस योजना से होगा बाढ़ का बेहतर प्रबंधन, जानें….

जल संसाधन विभाग ने राज्य में तटबंधों और नदियों से संबंधित आंकड़ों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक नया सिस्टम विकसित किया है। इसे ‘बिहार इम्बैंकमेंट एसेट मैनेजमेंट सिस्टम’ (बीम्स) नाम दिया गया है। इस नये सिस्टम के संबंध में अधिकारियों एवं अभियंताओं को प्रशिक्षण देने के लिए शुक्रवार को विभाग में कार्यशाला का आयोजन किया गया।

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कार्यशाला को संबोधित करते हुए मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि जल संसधन विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बाढ़ प्रबंधन के कार्य को अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर नई तकनीक को अपना रहा है। इसी क्रम में बिहार इम्बैंकमेंट एसेट मैनेजमेंट सिस्टम को तैयार किया गया है। इसको पटना के बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायता केंद्र ने तैयार किया है।

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मिली जानकारी के मुताबिक, इसमें नदियों के गुणों और तटबंधों की स्थिति से संबंधित आंकड़ों, विभाग की परिसंपत्तियों की जानकारी, नदियों के बदलते व्यवहार से जुड़े तथ्य, बाढ़ से सुरक्षा की योजनाओं की निगरानी, विभिन्न स्टोर में उपलब्ध मैटेरियल और योजनाओं के टेंडर से संबंधित जानकारी इत्यादि एक साथ उपलब्ध होगी। तकनीक आधारित इस नये सिस्टम से विभाग के अधिकारी किसी भी समय कहीं से भी नदियों और तटबंधों से संबंधित रीयल टाइम डेटा प्राप्त करने में सक्षम होंगे।बाढ़ से तटबंधों की दीर्घकालिक सुरक्षा और कटाव को रोकने के लिए जल संसाधन विभाग इस साल प्रयोग के तौर पर हर बाढ़ प्रक्षेत्र (फ्लड जोन) में कम-से-कम एक योजना में नई तकनीक को अपनाएगा। इससे होने वाले लाभ का आकलन करने के बाद इसे अन्य योजनाओं में लागू करने पर विचार किया जाएगा। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि बिहार में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए नई एवं अत्याधुनिक तकनीक अपनाने के मुख्यमंत्री के निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने अगस्त 2021 में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया था।

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इसमें देश-दुनिया के विशेषज्ञों से प्राप्त सुझावों के आधार पर विभाग ने नई एवं अत्याधुनिक तकनीक को अलग-अलग योजनाओं में प्रयोग के तौर पर लागू करने की योजना बनाई है। इसके लिए बिहार के सभी 6 बाढ़ प्रक्षेत्र में एक-एक योजना का चयन किया है। उन्होंने बताया कि कटिहार बाढ़ प्रक्षेत्र के भागलपुर जिले में गंगा के बाएं किनारे इस्माइलपुर बिंदटोली तटबंध पर, समस्तीपुर बाढ़ प्रक्षेत्र के दरभंगा जिले में खिरोई नदी के बायें तटबंध पर, मुजफ्फरपुर बाढ़ प्रक्षेत्र के वैशाली जिले में बेलहा बसंत तटबंध पर, गोपालगंज बाढ़ प्रक्षेत्र के गोपालगंज जिले में पतहारा छरकी में, पटना बाढ़ प्रक्षेत्र के बक्सर जिले में धर्मस्थपुर में और वीरपुर बाढ़ प्रक्षेत्र के सुपौल जिले में चोरहर, निर्मली में चल रही बाढ़ एवं कटाव से सुरक्षा की योजनाओं में प्रयोग के तौर पर नई तकनीक का उपयोग किया जाएगा।जिन नई तकनीक को पहली बार उपयोग में लाने पर विचार चल रहा है, उनमें जिओ मैट्रेस बिछाने का कार्य, जिओ टेक्सटाइल फिल्टर और जिओ टेक्सटाइल ट्यूब का उपयोग, जियो सिंथेटिक मैट्रेस से स्लोप प्रोटेक्शन कार्य और लॉन्च अप्रॉन का निर्माण इत्यादि शामिल हैं। घनी आबादी के सामने तटबंध को सुदृढ़ बनाने के लिए वर्ष 2020 में पहली बार कमला नदी के तटबंध पर स्टील शीट पाइलिंग तकनीक का उपयोग किया गया था। इसका अच्छा परिणाम दिख रहा है। इसके फायदे को देखते हुए अब गोपालगंज बाढ़ प्रक्षेत्र में गंडक नदी के तटबंध पर संवेदनशील स्थलों पर आयरन शीट पाइलिंग का कार्य कराया जा रहा है।

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