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इस तकनीक से बढ़ेगी आलू की 20% उपज, जोत खर्च भी होगा कम, जानें

पटना : बदलते वक्त के साथ ही खेती-किसानी के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं। नई तकनीकों के इस्तेमाल से जहां फसलों की पैदावार अधिक हुई है, वहीं लागत में भी कमी आ रही है। इसी क्रम में एक है जीरो टिलेज विधि। यानी खेत की जुताई किए बिना ही फसलों को उगाया जाना।

आलू की खेती की पूरी जानकारी, कैसे कम करें लागत और कमाएं ज्यादा मुनाफा

गेहूं के पैदावार के लिए पहले से इसका इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जा रहा है। अब इससे आलू की फसल को लगाया जाता है। खास बात यह है कि बहुत ही कम मजदूर की जरूरत होती है। इस विधि को अपनाने से किसान जुताई खर्च एवं मजदूरी खर्च में बचत कर सकते हैं। अहम यह है कि 15-20 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि कर सकते हैं। इस उन्नत तकनीक को जानने-समझने के लिए आलू अनुसंधान केंद्र पटना में गत 6 मार्च को जीरो टिलेज पोटेटो प्रोजेक्ट की ओर से किसान प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन हुआ था। इसमें कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह शामिल हुए और मंत्री ने संस्थान द्वारा विकसित की गई जीरो टिलेज तकनीक को हार्वेस्ट करते हुए देखा। इस दौरान उन्होंने इसके फायदे जानने की भी कोशिश की कैसे किसान कम लागत में अधिक आलू का उत्पादन कर सकता है।

जीरो टिलेज क्या है इसकी कीमत,सब्सिडी,रख-रखाव और इससे होने वाले लाभ – Zero  Tillage - सीड ड्रिल » Agriculture Job - Latest Agriculture Jobs Vacancies  Notification

मंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों की भी तारीफ की और बिहार के सभी किसानों को इस नई तकनीक जीरो टिलेज से आलू लगाने की अपील की और मौके पर मौजूद किसानों को भी प्रोत्साहित किया। मंत्री की माने तो आलू उत्पादन में जीरो टिलेज तकनीक अपनाने से धान के बाद आलू लगाने से फसल अवशेष का भी उपयोग हो सकेगा और बर्बादी नहीं होगी। इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र के वैज्ञानिक डॉ एसके ककरालिया ने भी जीरो टिलेज प्रॉजेक्ट के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि इस विधि को हाल ही में बिहार के पांच जिलों में लगाया गया है और इस विधि में खेत की जुताई किए बिना आलू की फसल को लगाया जाता है, जिसमें बहुत ही कम मजदूर की जरुरत होती है।

आलू बीज उत्पादन तकनीक - KRISHAK JAGAT

इस दौरान उद्यान निदेशक डॉ नन्द किशोर ने किसानों बताया की ऐसी नई तकनीक से आलू के उत्पादन में नई क्रांति आएगी और किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकेगी। इस मौके पर बामेती के डायरेक्टर जितेंद्र प्रसाद और आलू अनुसंधान केन्द्र के हेड डॉ शंभू कुमार ने किसानों को आश्वस्त किया कि कृषि प्रसार के माध्यम से इस तकनीक को पूरे बिहार में अपनाने पर जोर दिया जायेगा और किसानों को कहा कि इस तकनीक को विडियो के माध्यम से सभी किसानों तक भी पहुंचाया जायेगा। 

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