पटना : बदलते वक्त के साथ ही खेती-किसानी के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं। नई तकनीकों के इस्तेमाल से जहां फसलों की पैदावार अधिक हुई है, वहीं लागत में भी कमी आ रही है। इसी क्रम में एक है जीरो टिलेज विधि। यानी खेत की जुताई किए बिना ही फसलों को उगाया जाना।
गेहूं के पैदावार के लिए पहले से इसका इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जा रहा है। अब इससे आलू की फसल को लगाया जाता है। खास बात यह है कि बहुत ही कम मजदूर की जरूरत होती है। इस विधि को अपनाने से किसान जुताई खर्च एवं मजदूरी खर्च में बचत कर सकते हैं। अहम यह है कि 15-20 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि कर सकते हैं। इस उन्नत तकनीक को जानने-समझने के लिए आलू अनुसंधान केंद्र पटना में गत 6 मार्च को जीरो टिलेज पोटेटो प्रोजेक्ट की ओर से किसान प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन हुआ था। इसमें कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह शामिल हुए और मंत्री ने संस्थान द्वारा विकसित की गई जीरो टिलेज तकनीक को हार्वेस्ट करते हुए देखा। इस दौरान उन्होंने इसके फायदे जानने की भी कोशिश की कैसे किसान कम लागत में अधिक आलू का उत्पादन कर सकता है।
मंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों की भी तारीफ की और बिहार के सभी किसानों को इस नई तकनीक जीरो टिलेज से आलू लगाने की अपील की और मौके पर मौजूद किसानों को भी प्रोत्साहित किया। मंत्री की माने तो आलू उत्पादन में जीरो टिलेज तकनीक अपनाने से धान के बाद आलू लगाने से फसल अवशेष का भी उपयोग हो सकेगा और बर्बादी नहीं होगी। इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र के वैज्ञानिक डॉ एसके ककरालिया ने भी जीरो टिलेज प्रॉजेक्ट के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि इस विधि को हाल ही में बिहार के पांच जिलों में लगाया गया है और इस विधि में खेत की जुताई किए बिना आलू की फसल को लगाया जाता है, जिसमें बहुत ही कम मजदूर की जरुरत होती है।
इस दौरान उद्यान निदेशक डॉ नन्द किशोर ने किसानों बताया की ऐसी नई तकनीक से आलू के उत्पादन में नई क्रांति आएगी और किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकेगी। इस मौके पर बामेती के डायरेक्टर जितेंद्र प्रसाद और आलू अनुसंधान केन्द्र के हेड डॉ शंभू कुमार ने किसानों को आश्वस्त किया कि कृषि प्रसार के माध्यम से इस तकनीक को पूरे बिहार में अपनाने पर जोर दिया जायेगा और किसानों को कहा कि इस तकनीक को विडियो के माध्यम से सभी किसानों तक भी पहुंचाया जायेगा।
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