भारत में भगवान सूर्य के कई मंदिर स्थापित हैं और सभी अपने-अपने स्थान पर विशेष महत्व रखते हैं। वहीं बिहार के औरंगाबाद में स्थित सूर्य मंदिर भी है। छठ पूजा इस मंदिर की खासियत और बढ़ जाती है। वर्ती महिलाएं कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी और सप्तमी पूजा करती हैं। दूर-दराज से लोग भगवान सूर्य के दर्शन करने आते हैं।
औरंगाबाद स्थित इस सूर्य मंदिर को कोणार्क के तर्ज पर देवार्क भी कहा जाता है। यहां भगवान सूर्य के तीन स्वरूप यानी उदयांचल, मध्यांचल और अस्तांचल की पूजा होती है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण रातों-रात भगवान विश्वकर्मा ने किया था। जबकि इतिहासकार छठवीं से लेकर आठवीं सदी के मध्य इसके बने होने का अनुमान लगाते हैं। इस मंदिर की खास बात ये हैं जहां सभी सूर्य मंदिर के दरवाजे पूरब में खुलते हैं वहीं इसके पश्चिम में खुलते हैं। मंदिर के पास ही सरोवर है। जहां वर्ती महिलाएं छठ पूजा करती हैं। देवार्क सूर्य मंदिर की वास्तुकला बेहद ही आकर्षित करती है। यह आयताकार, अर्द्धवृत्ताकार और गोलाकार पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है। मंदिर के पास स्थित सरोवर के बारे में कहानी प्रचलित है कि जब त्रेतायुग में इला के बेटे ऐल ने यहां स्नान किया था तब उनका कुष्ठ रोग सही हो गया था।
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