पटना: बिहार में भी जल्द लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट शुरू होगा। पटना एम्स के डॉक्टरों को दिल्ली के लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) के एक्सपर्ट बाकायदा इसकी ट्रेनिंग देंगे। पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ गोपाल कृष्ण पॉल ने यह जानकारी दी है। संस्थान के 12वें स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पटना एम्स ने इसी तरह के प्रशिक्षण और सहायता के लिए पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ और पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईजीआईएमएस) के साथ भी समझौता किया है।
डॉ. पाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एसओटीटीओ), जो अंग और ऊतक प्रत्यारोपण के लिए मंजूरी देता है, जल्द ही संस्थान का निरीक्षण करेगा, जिसके बाद हम संस्थान के बाहर किडनी प्रत्यारोपण शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि संस्थान में 30% संकाय की कमी इस साल नवंबर तक दूर हो जाएगी, जब यह पिछले एक साल में संकाय भर्ती का तीसरा दौर पूरा कर लेगा। फैकल्टी भर्ती का पहला दौर पिछले साल नवंबर में और दूसरा इस साल फरवरी में किया गया था। एम्स में वर्तमान में 305 स्वीकृत पदों के मुकाबले 214 संकाय सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि संकाय भर्ती के बाद अब नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी विभाग ने संस्थान में काम करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि संस्थान में जल्द ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए 300 बिस्तरों वाली क्रिटिकल केयर यूनिट, संक्रमण की पहचान के लिए वायरोलॉजी प्रयोगशाला, एक उन्नत बर्न सेंटर और अनुसंधान प्रयोगशाला बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि एम्स पटना की ओर से कई पदों के लिए निकाला गया है, जिनमें इसमें से प्रोफेसर के 33 पद, एडिशनल प्रोफेसर के 18 पद, एसोसिएट प्रोफेसर के 22 पद, असिस्टेंट प्रोफेसर के 20 पद शामिल हैं।
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