बेतिया: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, वीटीआर के जंगलों में बसे आदिवासियों के उत्पाद अब देश-विदेशों में अपनी छाप छोड़ेगा। यूरोप से लेकर खाड़ी देशों तक इनके बनाये आनंदी भुजा व डलिया, मौनी जैसे हस्तशिल्प उत्पाद का डंका बजेगा। इसके लिए सबसे पहले थारू आदिवासियों के हस्तकला से निर्मित उत्पादों की ब्रांडिंग की जाएगी। केंद्रीय वन मंत्रालय उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए योजना बना रही है।
बता दें कि विगत 29 जुलाई को उतराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वीटीआर समेत देश के सभी टाइगर रिजर्व के बाघों की गणना रिपोर्ट जारी की गई थी। इसके लिए आयोजित समारोह टाइगर रिजर्व की ओर से सोवेनियर शॉप का स्टॉल भी लगाया गया था। यहां वीटीआर के आदिवासियों के हाथों से निर्मित उत्पाद के सोवेनियर स्टॉल ने महफिल लूट ली।
केन्द्रीय वन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे उत्पाद देखकर गदगद हो गए। उन्होंने मौके पर ही निर्देश दिया कि इसकी पहचान बनाने के लिए ब्रांड तैयार करने की बात कही। आश्विनी चौबे समेत अन्य मंत्रियों ने ब्राडिंग उत्पाद का ब्रांड बनाने का आश्वासन दिया। केन्द्रीय वन राज्य मंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज मिश्रा, बिहार के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पीके गुप्ता, वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणी के, वन प्रमंडल दो के डीएफओ प्रदुम्न गौरव व सोवियर शॉप के सचालक संजय कुमार मौजूद रहे।
डलिया-मौनी ने लूटी महफिल
निरीक्षण के दौरान केन्द्रीय वन राज्य मंत्री आश्विनी चौबे को दर्जनों सोवेनियर शॉप पर लगे समान में वीटीआर की ओर से लगे स्टॉल पर रखे आनंदी भुजा व डलिया, मौनी आदि देखकर मंत्रमुग्ध हो गये। उन्होंने आनंदी भुजा का स्वाद चखा। कहा कि इसे पूरा देश चखेगा। वे आनंदी भुजा अपने साथ भी ले गए।
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