मुजफ्फरपुर: बिहार में मानसून रूठा है। उत्तर बिहार में स्थिति और भी खराब है। जून में दो दशक की सबसे कम मानसूनी बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिक इसे सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन का असर बता रहे हैं। मौसम विभाग की मानें तो उत्तर बिहार में मानसून जून की बजाय जुलाई में शिफ्ट हो रहा है। इस साल 12 जून को ही पूर्णिया के रास्ते मानसून बिहार में पहुंच गया था। 25 जून को पूरे बिहार में मानसून पहुंच गया लेकिन इसके बाद से कमजोर पड़ गया।
साल 2003 से लेकर 2023 के बारिश के रिकार्ड पर गौर करें तो इस बार 1.2 एमएम मानसूनी बारिश हुई है। 2003 से लेकर 2023 के बीच 2021 में 1 से 30 जून के बीच 402.0 एमएम बारिश हुई थी। वहीं मानसून के आगमन पर 12 से 30 जून के बीच 372.2 एमएम बारिश हुई थी। इस साल एक से 26 जून के बीच 1.2 एमएम बारिश हुई है। इधर, 2003 से लेकर 2023 के बीच औसत अधिकतम तापमान भी जून में अधिक रहा है। 1 से 26 जून के बीच औसत अधिकतम तापमान 39.6 डिग्री रिकार्ड किया गया। सबसे अधिक तापमान इस साल 15 जून को 42.9 डिग्री सेल्सियस रहा।
कृषि के साथ ही सेहत के लिए भी खराब मौसम
कृषि के लिए मानसूनी बारिश नहीं होना अच्छा संकेत नहीं है। इससे खेतों में नमी का अभाव है। खेत में दरार पड़ रहे हैं। नदी और तालाब सूख रहे हैं। खरीफ की खेती पिछड़ती जा रही है। जिले में 147940.01 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य है, जबकि 14794. 01 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा लगाने का लक्ष्य तय है। अबतक 1519.54 हेक्टेयर में ही बिचड़ा लगाया गया है। वहीं मानसून की बेरुखी मनुष्य की सेहत के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है। तेज धूप और भीषण गर्मी में लोग बीमार पड़ रहे हैं। लगातार 25 दिनों से अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रह रहा है।
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