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कोणार्क के अलावा औरंगाबाद में भी स्थित है भगवान सूर्य का भव्य मंदिर, हमेशा भक्तों की लगी रहती है भीड़

औरंगाबाद: बिहार में कई टूरिस्ट प्लेस हैं। जिसमें ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों हैं। राज्य का औरंगाबाद जिला भी ऐसे ही पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान रखता है। राजधानी पटना से 140 किलोमीटर की दूरी पर बसे औरंगाबाद कभी मगध के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक हुआ करता था। झारखंड की सीमा पर स्थित इस जिले में घूमने के लिए कई स्थल हैं। जिसमें से सबसे खास है देव सूर्य मंदिर।

Aurangabad Surya Mandir : जब अचानक औरंगाबाद सूर्य मंदिर का दरवाजा पूरब से  पश्चिम की तरफ हो गया, जानिए पूरी कहानी - when suddenly the door of  aurangabad sun temple shifted from

औरंगाबाद का सूर्य मंदिर बिहार के प्राचीन मंदिरों में से एक है। ये मंदिर स्थापत्य कला का अद्भूत उदाहरण है। ऐसा कहा जाता है कि इसके निर्माण में आयताकार, अर्द्धवृताकार गोलाकार समेत अन्य रूपों में काटे गए पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है। मंदिर में भगवान सूर्य के तीन स्वरूपों यानी उदयाचल, मध्याचल और अस्ताचल की पूजा होती है। पौराणिक कथाओं की बात करें तो इस  मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने इसे एक रात में बनाया था। वहीं इतिहासकारों की मानें तो राजा भेरेंद्र सिंह ने बनवाया था।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की सात रथों पर सवार प्रतिमा स्थापित है। ये एकमात्र सूर्य देव का ऐसा मंदिर है जिसका दरवाजा पश्चिमी दिशा में है। भगवान सूर्य के इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। यहां पास ही एक सरोवर है। जिसे सूर्यकुंड भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि कुंड में स्नान के बाद मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है। छठ पूजा के दौरान यहां महिलाएं पूजा करने आती हैं।

अगर औरंगाबाद में अन्य टूरिस्ट प्लेस की बात करें तो दाऊद का किला, अमझर शरीफ दरगाह और उमगा है। औरंगाबाद सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा है। लिहाजा बड़े शहरों से औरंगाबाद के लिए सीधे बस सेवा उपलब्ध है। इसके अलावा ट्रेन से भी औरंगाबाद के अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन आप जा सकते हैं।

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