बिहार के सुपौल जिले से एक रिश्तों को श’र्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक मां ने अपने कलेजे के टुकड़े को गड्ढे में फेंक दिया। फिर सड़क पर बैठकर फूट-फूटकर रोने लगी। मासूम बच्चे की उम्र महज ढाई महीने थी। परिजन को पता चला तो बच्चे को गड्ढे से बाहर निकाला, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
यह घटना सुपौल जिले के किशनपुर थाना क्षेत्र की नौआबाखर पंचायत का है। बताया जा रहा है कि आ’रोपी महिला नीतू कुमारी पिछले एक साल से मानसिक रूप से बीमार है। मंगलवार सुबह लगभग 9 बजे परिजन गांव में एक सत्संग में भाग लेने के लिए चले गए थे। घर में नीतू और उसका ढाई महीने का पुत्र आर्यन ही था।
इस बीच नीतू अपने छोटे बेटे आर्यन को लेकर घर के पास सड़क किनारे खड़ी हो गई। कुछ देर बाद नीतू ने सड़क किनारे पानी से भरे गड्ढे में अपने मासूम बेटे को फेंक दिया। इसके बाद वह सड़क पर बैठ कर रोने लगी।
इस दौरान सड़क से गुजर रहे एक राहगीर ने उससे रोने का कारण पूछा तो नीतू ने घर जाने की बात कही। राहगीर नीतू को लेकर उसके घर पहुंचा दिया। घर में नीतू के जोर-जोर से रोने के कारण आसपास के लोग वहां पहुंचे। लोगों ने इसकी सूचना नीतू के परिजन को दी।
परिजन सत्संग स्थल से तुरंत घर आए तो नीतू ने उन्हें पूरा वाकया बताया। घर वाले आनन-फानन में गड्ढे के पास पहुंचे और मासूम को पानी में खोजने लगे। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आर्यन को पानी से बाहर निकाला गया। हालांकि तब तक उसकी मौ’त हो चुकी थी। इस वाकये को सुनकर घर में को’हराम मचा है और गांव वाले हैरान हैं। थानाध्यक्ष ने बताया कि घट’ना की जानकारी नहीं मिली है। आवेदन मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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