पटना हाईकोर्ट के दो अलग-अलग कोर्ट ने औरंगाबाद के डीएम एवं एसपी को तलब किया है। एक ओर जहां झूठा हलफनामा मामले में डीएम को तलब किया गया है। वहीं, हत्या के आरोपित को गिरफ्तार नहीं किये जाने के मामले में एसपी को तलब किया गया है।
न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने अतिक्रमण हटाने के बारे में हाईकोर्ट में हलफनामा देकर अतिक्रमण हटा दिए जाने के बारे जानकारी दी है, जबकि हाईकोर्ट की ओर से कोर्ट कमिश्नर से स्थल निरीक्षण जांच कराने पर पता चला अतिक्रमण नहीं हटाया गया है। कोर्ट कमिश्नर की स्थल जांच रिपोर्ट देख कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि डीएम ने अतिक्रमण हटा देने का हलफनामा दायर किया है जबकि हकीकत कुछ और ही है।
कोर्ट ने डीएम की कार्यशैली पर हैरानी जताते हुए कहा कि डीएम जैसे प्रतिष्ठित पद पर बैठे लोग जब कोर्ट में झूठा हलफनामा दायर करते हैं तब कैसे कोर्ट न्यायिक कार्य करेगा। कोर्ट ने अगली तारीख 29 सितंबर को डीएम को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया।
वहीं, एक अन्य मामले में न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने इस बात पर हैरानी जताई कि पिछले पांच वर्षों से हत्याकांड के नामजद अभियुक्त को गिरफ्तार करने के लिए गिरफ्तारी वारंट तक जारी नहीं किया जा सका है, जबकि दूसरे नामजद अभियुक्तों में से एक के खिलाफ बहुत पहले ही आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। आवेदक के वकील ने कोर्ट को बताया कि पुलिस कर्मी की विदाई समारोह में अभियुक्त थानेदार के साथ खड़े होकर फोटो खिंचवाते हैं।
इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जिला के एसपी पूरे प्रकरण की फौरन जांच करें। आरोप सत्य पाए जाने पर थानेदार सहित आईओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी करवाई करें। गौरतलब है कि 2016 में देव थाना अंतर्गत मुखिया पद के चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
कोर्ट ने औरंगाबाद एसपी को लापरवाही बरतने वाले सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई रिपोर्ट और हत्याकांड की अनुसंधान प्रगति रिपोर्ट के साथ कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया। मामले पर अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी।
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