जमुई के पतनेश्वर मंदिर जमुई के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। मंदिर 1711 ई. में बनाया गया था। यह मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुरम्य नदी किऊल के लिए भी जाना जाता है।
कहा जाता है बाबा पत्नेश्वर धाम स्थित भोलेनाथ की पूजा करने से असाध्य रोग दूर हो जाता है। इस मंदिर के पुजारी सोनू पांडे बताते हैं कि यहां शिवलिंग स्वयअवतरित हुआ है। शिवलिंग के आसपास मंदिर का निर्माण किया गया जहां जमुई के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।
बनैली राज स्टेट द्वारा मंदिर और आसपास की जमीन को ब्राह्माणों को पूजन के लिए दिया गया। शुरुआती दौर में यहां आबादी नहीं के बराबर थी।तब यहां एक साधु आए थे जो उड़ीया बाबा के नाम से मशहूर थे,जो काफी दिनों तक पत्नेश्वर पहाड़ पर रहे।
उन्होंने बताया कि जिन्हें गलित कुष्ठ था और देवघर बाबाधाम मंदिर में पूजा के दौरान उन्हें पत्नेश्वर में पूजा करने का स्वप्न देखा था। वे स्वयं पत्नेश्वर में पूजा के बाद स्वस्थ हुए और यहीं के होकर रह गए।किउल नदी में हर रोज स्नान कर पूजा से कुष्ठ जैसे असाध्य रोगों से मुक्ति का मार्ग बताया था।
बदलते वक्त के साथ यहां अब भव्य मंदिर बन गया है। करोना काल में दो साल के बाद सावन माह में हर दिन हजारों श्रद्धालु की भीड़ पूजा करने के लिए लगती है।विशेष कर सोमवार को को मंदिर परिसर में पैर रखने की जगह नही मिलती है। बाबा पत्नेश्वर् की पूजन में छोटे से शिवलिंग को चारो ओर से घेरकर दूध तथा गंगा जल से अभिषेक कराया जाता है।
इस पूजन में लगातार अभिषेक के बावजूद शिवलिंग को पूरी तरह से दूध अथवा जल में डुबाना मुश्किल होता है। इस पूजन के दौरान भारी संख्या में भक्तगण इकट्ठा होते हैं। बदलते वक्त के साथ अब जमुई शहर में प्रवेश के साथ ही पत्नेश्वर पहाड़, किउल नदी के बीच पत्नेश्वर धाम में मंदिर का मनोहारी दृश्य लोगों को बरबस ही आकर्षित कर रहा है। मंदिर कमेटी के लोगों ने इसे पर्यटन स्थल विकसित करने की मांग कर रहे है।
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