वैशाली जिले के गोरौल में हजरत मोहम्मद साहब का1450वां जन्मदिन धूमधाम मनाया गया। इस मौके पर निकाले गये जुलूस-ए-मोहम्मदी में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
जुलूस मुस्तफापुर हरशेर से गोरौल चौक, इनायतनगर, भिखनपुरा से लेकर फकुली मदरसे तक निकाला गया। जुलूस में शामिल लोगों को कृष्णा मार्ट के सौजन्य से शर्बत, खिचड़ी और खिचड़ी खिलायी गयी।
बताया गया है कि मोहम्मद साहब का जन्म जिस तिथि को हुआ था, उसी तिथि को उनकी मृत्यु भी हुई थी। मौलवी साहब ने बताया कि मोहम्मद साहब के जन्म से पूर्व महिलाएं अपने अधिकार से वंचित रहा करती थीं।
उन्होंने बताया कि उससे पहले शिक्षा से दूर रखा जाता था। विधवा महिलाओं को अस्तबल में रख दिया जाता था। उनकी दूसरी शादी पर भी रोक थी। लेकिन मुहम्मद साहब ने इनके अधिकारों के लिये लम्बी लड़ाई लड़ी। इस तरह की कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के कारण ही उन्हें मक्का से निकाल दिया गया था।
मक्का से आने केबाद वे मदीना में आकर रहने लगे और वहीं से बेटी, बहू और समाज के दबे कुचले लोगों पर हो रहे अन्याय और ऊंच-नीच के भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी । उन्होंने जीवनकाल में हर जाति और हर कौम के लोगों के लिए अधिकारों की लड़ाई लड़ी।
जुलूस में मुख्य रूप से मौलाना हाशिम, मौलाना नसीम, मौलाना समीम अख्तर, मौलाना नौशाद, इरशाद अहमद, मो. इस्लाम, मो. जमाल, फैज वारिस, जाहिद वारसी, जैद वारसी, मास्टर समीम, मो. अंसार, उमर फारूक सहित अन्य शामिल हुए।
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