पटना : महंगाई वाले बाजार में हरी सब्जियों की कीमत आम आदमी को डराने लगी हैं। गरीबों की थाली से हरी सब्जियों गायब हो गई हैं। सब्जी इतनी महंगी हो गई है कि मजदूरी के पैसे से खरीद नहीं पा रहे हैं। मध्यवर्गीय परिवार के लिए भी सब्जी खरीदना भारी पड़ रहा है। बीते 10 वर्षों के दौरान सब्जियों की थोक और खुदरा कीमतों में छह गुना तक की बढ़ोतरी हुई है। यह हाल तब है जब बिहार में हरी सब्जियों की अच्छी खासी खेती की जाती है।
बीते दस सालों के अध्ययन के मुताबिक, जुलाई-अगस्त 2014 और जुलाई-अगस्त 2024 के बीच हरी सब्जियों के साथ ही आलू-प्याज की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। थोक और खुदरा बाजार में दोनों ही जगहों पर इस दौरान सब्जियों के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई। हालांकि बाजार में अन्य सामानों के दाम भी बढ़े हैं। खासकर खाद, बीज, कीटनाशक, डीजल जैसे आईटम के दाम बढ़ जाने का असर सब्जियों की कीमतों पर पड़ता है।
हरी सब्जी में वर्ष 2014 में भिंडी की कीमत साढ़े चार सौ से छह सौ रुपए प्रति क्विंटल, मतलब साढ़े चार रुपए से छह रुपए प्रति किलो थी जो 2024 में बढ़कर डेढ़ हजार से 22 सौ रुपए प्रति क्विंटल यानी 15 रुपए से 22 रुपए प्रति किलो हो गई। इसी तरह नेनुआ जो थोक में साढ़े तीन से पांच रुपए प्रति किलो था दस वर्ष में बढ़कर दस से 12 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। परवल की कीमत दस वर्ष पहले थोक बाजार में चार सौ से छह सौ रुपए प्रति क्विंटल होती थी। साल 2024 में यह बढ़कर 12 सौ से 14 सौ रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। दस वर्ष पहले पांच से 7 रुपए प्रति पीस बिकनेवाला गोभी आज थोक मंडी में 20 से 30 रुपए के हिसाब से मिल रहा है। दस साल पहले बोरिंग रोड, राजापुर पुल सब्जी मंडी में दस से 15 रुपए किलो बिकने वाली भिंडी 40 से 50 रुपए प्रतिकिलो तक बिक रही है। वहीं 5 से 10 रुपए प्रति पीस बिकने वाले कद्दू की कीमत 25 से 40 रुपए प्रति पीस तक पहुंच गई है।
इसी तरह परवल की कीमतें भी 10-15 रुपए प्रति किलो की जगह 50 रुपए के आसपास पहुंच गई है। दस साल पहले जो नेनुआ 10 रुपए किलो के आसपास मिलता था उसी कीमत आज 40-60 रुपए के बीच है। गोभी की कीमतें भी पांच गुना तक बढ़ी हैं।
पहले जो थोक कारोबारी एक या दो ट्रक सब्जियां का आर्डर आराम से दे देते थे। अब बढ़ती कीमतों के बीच बड़ा आर्डर देने से हिचकते हैं।
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