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बाबरी मस्जिद वि’ध्वंस मामले में आडवाणी, जोशी सहित सभी 32 आरो’पी ब’री, कहा-घट’ना पूर्व नियो’जित नहीं थी

NEW DELHI : अयोध्या में बाबरी मस्जिद वि’ध्वंस मामले में लखनऊ की विशेष अदा’लत ने 28 साल बाद फै’सला सुनाया। फै’सला पढ़ते हुए जज एसके यादव ने कहा कि घट’ना पूर्व नियो’जित नहीं थी और यह अचा’नक हुई थी। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि आरो’पियों के खि’लाफ प्रब’ल सा’क्ष्‍य नहीं थे। जिसके बाद ज’ज ने सभी आरो’पियों को ब’री कर दिया गया।

अयोध्या ढांचा वि’ध्वंस पर जस्टिस एसके यादव 11.35 बजे फैसला पढ़ना शुरू किया। जिसमें उन्‍होंने सबसे पहले कहा कि बाबरी वि’ध्‍वंस मामले की घट’ना पूर्व नियो’जित नहीं थी और यह अचा’नक हुई थी। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि आरो’पियों के खि’लाफ प्रब’ल सा’क्ष्‍य नहीं थे।

कोर्ट में पहुंचे 26 आरोपी

इस मामले में 49 लोगों को आरो’पी बनाया गया था, जिनमें से 17 लोगों की मौ’त हो चुकी हैं और 32 आरो’पी बचे है। हालांकि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार और महंत नृत्य गोपाल को छोड़कर सभी 26 अभि’युक्त कोर्ट पहुंचे।

 

1992 बाबरी मस्जिद वि’ध्वंस

6 दिसंबर 1992 को तत्कालीन विवा’दित राम जन्मभूमि क्षेत्र में एक 1,50,000 कारसे’वकों की एक रै’ली का आयोजन किया गया था, जहां बाबरी मस्जि’द खड़ी थी। भाजपा और वीएचपी द्वारा आयोजित रै’ली में आए लोगों ने मस्जिद को ध्व’स्त कर दिया। विध्वं’स सांप्रदा’यिक दं’गों का कारण बना, जिसमें हजारों लोग मा’रे गए।

बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला?

मई 2017 में सीबीआई की विशेष अदा’लत ने भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री उमा भारती और अन्य पर बाबरी मस्जि’द विध्वं’स मामले में आपरा’धिक सा’जिश का आ’रोप लगाया। चश्मदी’द गवा’हों के बया’नों में देरी की वजह से भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह के खि’लाफ आ’रोप त’य करने में दे’री के कारण हुई, जिन्‍हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया। कल्‍याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जब 6 दिसंबर 1992 को भी’ड़ ने अयोध्या में बाबरी मस्जि’द को ध्व’स्त कर दिया था।

इस साल की शुरुआत में शीर्ष अदा’लत ने विशेष न्या’याधीश के लिए एक नई समय सीमा तय की, जिसमें उन्हें सितंबर तक फै’सला सुनाने के लिए कहा। शीर्ष अदा’लत के 2017 के फैसले से पहले, लखनऊ और रायबरेली में विध्वं’स से संबंधित मामलों के दो सेट थे। “कारसेवकों” से जुड़ा पहला मामला लखनऊ की एक अदा’लत में चला, जबकि रायबरेली की अदा’लत में आठ वीआईपी से संबंधित मामलों के दूसरे सेट पर सुन’वाई की जा रही थी। तब मामलों को क्लब कर दिया गया था।

1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस

6 दिसंबर 1992 को तत्कालीन विवा’दित राम जन्मभूमि क्षेत्र में एक 1,50,000 कारसेवकों की एक रै’ली का आयोजन किया गया था, जहां बाबरी मस्जि’द खड़ी थी। भाजपा और वीएचपी द्वारा आयोजित रै’ली में आए लोगों ने मस्जि’द को ध्व’स्त कर दिया। विध्वं’स सांप्रदा’यिक दं’गों का कारण बना, जिसमें हजारों लोग मा’रे गए।

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