केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद फिर से नितिन गडकरी को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का जिम्मा मिलते ही बिहार के उन एक्सप्रेस वे की चर्चा शुरू हो गई है जो लंबी अवधि से प्रस्तावित हैं। उनके कार्यकाल में इन योजनाओं पर सहमति बनी थी। भारतमाला शृंखला के तहत इन एक्सप्रेस वे में कई की स्थिति यह है कि उनके लिए जमीन अधिग्रहण तक की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। वहीं, कुछ एक्सप्रेस वे का हाल यह है कि उनका कोई अता-पता नहीं है। वे फाइलों में भी गति नहीं पा रहे।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को भागलपुर तक विस्तार दिए जाने पर सहमति के एक साल से अधिक हो गए। यह सड़क भागलपुर के लिए यूपी होते हुए दिल्ली तक जाने वाली एक महत्वपूर्ण सड़क होगी। बिहार में लगभग 300 किमी में इसका निर्माण होना है पर मामला अभी तक अटका पड़ा है।
भारतमाला शृ्ंखला-2 के तहत बनने वाले रक्सौल-दिघवारा-हल्दिया एक्सप्रेस ने तहत बिहार में 350 किमी सड़क का निर्माण कराया जाना है। यह सड़क बिहार से झारखंड होते पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक जानी है। अंतरदेशीय परिवहन के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है।
हल्दिया पोर्ट से रक्सौल के बीच सीधी कनेक्टिवटी से नेपाल को भी सीधा लाभ होगा। इसके एलायनमेंट में पटना और बिहारशरीफ भी है। शेखपुरा, जमुई होते हुए यह बांका से दुमका की ओर बढ़ेगी और वहां से हल्दिया पहुंचेगी। अभी इस मेगा प्रोजेक्ट का काम गति में नहीं है।
पटना-पूर्णिया के बीच एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया जाना है पर अभी तक इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण तक को अनुमति नहीं मिली है। गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस वे के निर्माण से बिहार के कई जिलों को सिलीगुड़ी के लिए नयी कनेक्टिवटी मिलेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत 450 किमी सड़क का निर्माण बिहार में कराया जाना है। अभी तक यह प्रोजेक्ट जमीन अधिग्रहण में ही फंसा पड़ा है।
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