मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश भर में मशहूर है। लेकिन, शाही लीची का सीजन समाप्त होने को है, पर फल में खट्टापन पूरी तरह दूर नहीं हो सका है। इस बार लीची का वजन भी नहीं बढ़ा और बीज बड़ा हो गया। किसानों के मुताबिक लीची में पहले जैसी सुगंध भी नहीं मिल रही है। तुड़ाई के बाद दूसरे दिन ही इसकी लाली मद्धिम पड़ने लग रही है।
किसानों को इस बार शाही लीची से निराशा हाथ लगी है। वे समझ नहीं पा रहे हैं आखिर क्या करें। लीची वैज्ञानिकों के अनुसार 2014 में तापमान 43.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। इसके बावजूद लीची के वजन और मिठास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। इस बार 41 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ही फल झुलस रहे हैं। किसान करीब 60 फीसदी शाही लीची के नुकसान बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि दो जून से चाइना लीची का सीजन शुरू हो रहा है। अब उसी पर आस है।
लीची वैज्ञानिक के मुताबिक, शाही लीची की हो रहे नुकसान का कारण शोध का विषय है। जलवायु परिवर्तन का असर तो है ही, साथ ही लीची के बागों में मिट्टी की जांच भी अनिवार्य हो गई है। बताया कि जमीन में जरूरी पोषक तत्व की कमी के कारण साल दर साल लीची की फ्लावरिंग और फल के विकास दोनों पर असर पड़ सकता है।
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