महाशिवरात्रि 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्च 2024 का महीना वैसे तो कई खास व्रत-त्योहार से भरपूर है लेकिन 8 मार्च 2024 का दिन विशेष माना जा रहा है। क्योंकि इस दिन महाशिवरात्रि हैं। यह दिन भगवान शिव की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष माना जाता है। बता दें कि भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है। शिवपुराण में इसे भगवान शिव का प्रतीक माना गया है.एक पौराणिक मान्यता ये भी है कि जब समुंद्र मंथन हो रहा था, तब भगवान शिव ने विष के हलाहल का पान किया था। जिसकी वजह से उनका शरीर गर्म होने लगा तो उनके शरीर की ताप को कम करने के लिए उनपर बेलपत्र का लेप लगाया जाने लगा।
भगवान भोलेनाथ के शरीर के ताप को कम करने के लिए बेलपत्र का लेप लगाने के साथ दूध, दही, जल और सहित अन्य ठंडी सामग्री डाला गया था। जिसके बाद उनके शरीर का ताप कम हुआ। इसलिए जब भी शिव जी की पूजा की जाती है तब जल और बेलपत्र उन्हें जरूर चढ़ाया जाता है। यही वजह है कि शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। बेलपत्र के पेड़ की उत्पत्ति को लेकर पौराणिक कथा ये भी है की एक बार पार्वती जी के माथे से पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर जा गिरी. पार्वती जी के उस पसीने की बूंद से ही बेल का व पेड़ उत्पन्न हुआ।
बेल के पेड़ की जड़ में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखा में दक्षायनी, पत्ती में पार्वती तथा पुष्प में गौरी जी का वास होता हैं। इसी कारण शंकर जी को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। उन्होंने बताया कि शिव जी पर हमेशा तीन पत्ती वाला ही बेलपत्र चढ़ाया जाना चाहिए। तीन पत्तों को त्रिदेव, त्रिगुण ( सत, रज, तम), तीन लोक ( स्वर्ग, मृत्युलोक, पाताल लोक) का प्रतीक माना जाता है। कहीं-कहीं इसे शिव जी के त्रिनेत्र और त्रिशुल का प्रतीक भी माना जाता है। महादेव को बेलपत्र चढ़ाने वक्त पत्ते को अच्छे से देख लेना चाहिए कि वो कहीं छिद्र वाला तो पता नहीं है.पत्ते को अच्छे से साफ़कर उसपर ओम या राम नाम लिख कर ही महादेव को अर्पित करें।
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