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राम जन्म जैसे योग में ही होगी रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा, जानें इसके पीछे की मान्यता ..

अयोध्या: 500 सालों के लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद प्रभु श्री राम अब अपनी नगरी अयोध्या में बने मंदिर में विराजमान होंगे. उनके विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी का दिन चुना गया है. इसके पीछे की भी बहुत बड़ी मान्यता है. दरअसल इस दिन सुबह 9:45 मिनट से लेकर 12:45 मिनट तक विशेष योग में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चलेगा. इस शुभ समय की गणना काशी के प्रख्यात ज्योतिष ने की है. बता दें कि इस दिन शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है जो पौष मास का है. इस दिन सोमवार का दिन होगा. ऐसे में इस दिन कई ऐसे योगों का निर्माण हो रहा है जो इस तिथि को विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए बेहद खास बनाता है.

Ayodhya रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की तैयार‍ियां तेज, गर्भगृह में फर्श  निर्माण पूरा, भक्‍तों के ल‍िए खास इंतजाम - Preparations for RamLalla  consecration intensified floor ...

22 जनवरी शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को 5 बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है. बता दें कि इस समय सूर्य उत्तरायण होंगे और वैसे भी देवी-देवताओं की विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए यह बेहद खास मौका माना जाता है। वैसे बता दें कि भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना के लिए जैसे सावन का महीना खास होता है. मां दुर्गा के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आश्विन, भगवान विष्णु के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मार्गशीर्ष का महीना वैसे ही अन्य सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पौष का महीना माना गया है।
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए जो शुभ मुहूर्त है वह बेहद सूक्ष्म है। यानी कि मात्र 84 सेकंड के इस मुहूर्त में प्रभु श्री राम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी. इस मुहूर्त को लेकर कहा जा रहा है कि इस समय 16 में से 10 गुण बेहतर हैं. यह अभिजीत मुहूर्त होगा. दरअसल राम लला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 5 मुहूर्त 17, 21, 22, 24, 25 जनवरी की तारीख दी गई थी. जिसमें से 22 जनवरी को यह सूक्ष्म मुहूर्त ऐसा था जिसमें राम जन्म के समय वाला संयोग बन रहा है ऐसे में इसे ही प्रभु श्रीराम के आगमन के लिए चुना गया। 22 जनवरी को पौष महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है, जिसे कूर्म द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है. कूर्म का सीधा मतलब कछुआ होता है जो भगवान श्री हरिनारायण विष्णु के कूर्मावतार की तिथि मानी गई है। इस दिन इस तिथि को एक खास समय पर ऐंद्रयोग, सर्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग बन रहा है. ऐसे में ग्रहों की भी जो इस समय की स्थिति बन रही है वह त्रेता में प्रभु श्री राम के जन्म के समय से मेल खाती है।

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