पटना: बिहार में राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद आरक्षण संशोधित अधिनियम लागू हो गया है। अब राज्य सरकार की सभी स्तर की नौकरियों और तमाम शैक्षणिक संस्थानों के नामांकन में आरक्षण के नए मानक लागू हो गए हैं। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सरकारी सेवाओं में तथा शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में आरक्षण की सीमा बढ़ाने संबंधी विधेयकों पर राज्यपाल की सहमति मिल जाने पर संतोष एवं प्रसन्नता जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि वैसे तो यह सामान्य विधायी प्रक्रिया है, परंतु सहमति मिल जाने पर अब ये विधेयक अधिनियम यानी कानून का रूप ले लेंगे तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच के मुताबिक समाज के पिछडे़ एवं जरूरतमंद लोगों को न्याय दिलाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। साथ ही ये नजीर के रूप में पूरे देश को भी रास्ता दिखाएगा।
इससे पहले राज्य सरकार ने विधानमंडल के शीतलाकालीन सत्र से इस विधेयक को पारित कराकर लागू करने की घोषणा की थी। राज्यपाल के स्तर से अंतिम रूप से अनुमति मिलने के बाद यह सूबे में तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इसमें 65 फीसदी कोटा सभी तरह के आरक्षित वर्ग और 35 फीसदी कोटा अनारक्षित वर्ग के लिए निर्धारित कर दिया गया है। अनारक्षित वर्ग के 35 फीसदी कोटा में 10 फीसदी सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए निर्धारित है। इस तरह राज्य में सभी तरह के आरक्षण के दायरे को देखें, तो यह 60 फीसदी से बढ़कर 75 फीसदी हो गया है। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद अब जितनी सरकारी बहाली और संस्थानों में नामांकन होंगे, उनमें इस नए प्रावधान का ही अनुपालन किया जाएगा।
राज्य सरकार के स्तर से जारी दोनों गजट के अनुसार, आरक्षित वर्ग के लिए 65 फीसदी की सीमा निर्धारित की गई है। उसमें 20 फीसदी अनुसूचित जातियां, 2 फीसदी अनुसूचित जन-जातियां, 25 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग और 18 फीसदी पिछड़ा वर्ग के लिए रखा गया है। इसके अलावा 35 फीसदी कोटा सामान्य या अनारक्षित वर्ग के लोगों के लिए निर्धारित किया गया है। इसी में 10 फीसदी कोटा सामान्य वर्ग के ही आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए तय है।
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