पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के परीक्षा में सफल हुए शिक्षक अभ्यर्थियों को शहरों के बजाय गांवों के स्कूलों में नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी। सभी जिलों से प्राप्त रिपोर्ट बताती है कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में छात्रों के अनुपात में शिक्षक कम हैं। इसको देखते हुए शिक्षा विभाग ने यह फैसला लिया है। इसी के हिसाब से नवनियुक्त शिक्षकों को स्कूल आवंटित करने की तैयारी चल रही है।
मिली जानकारी के अनुसार 9वीं और 10वीं के शिक्षकों के सभी पद उन उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों को दिए गए हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैं। वहीं, 11वीं और 12 वीं के अधिकांश शिक्षकों के पद भी ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में ही रिक्त हैं। प्राथमिक स्कूलों में भी कमोबेश यही स्थिति है। वहीं, जिला शिक्षा पदाधिकारी की अनुशंसा पर शहर के स्कूलों में भी पदस्थापन किए जा सकते हैं। हालांकि, ये वैसे स्कूल होंगे जहां छात्र अधिक हैं और शिक्षक काफी कम। इसी हिसाब से सॉफ्टवेयर में स्कूलों के नाम और विषयवार पद अपलोड किए जा रहे हैं। शिक्षकों के नाम भी दर्ज किए जाएंगे।
सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही शिक्षकों को स्कूल आवंटित किया जाएगा। किस शिक्षक को कौन सा स्कूल आवंटित होगा, इसमें पदाधिकारियों की कोई भूमिका नहीं रहेगी। जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं, वहां पर सबसे पहले सॉफ्टवेयर पदस्थापन करेगा।
बीपीएससी से चयनित शिक्षकों की ट्रेनिंग (आवासीय प्रशिक्षण) 4 नवंबर से शुरू होगी। इसके लिए 15 दिनों का प्रशिक्षण मॉड्यूल राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा तैयार किया गया है। इनका प्रशिक्षण राज्य के 77 शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों (एससीईआरटी, डायट, सीटीई, पीटीईसी) में होगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किया है।
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