शारदीय नवरात्री 2023: मां दुर्गा का आह्वान कर कल से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएगा। पहले दिन कलश स्थापना कर मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की जाएगी। दुर्गापूजा को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ गयी है। पूजा सामग्री की दुकानें बाजार में जगह-जगह सज गयी है। पूजा के लिए मिट्टी की कलश, माता की चुनरी, मोती की माला, नारियल एवं अन्य पूजन सामग्री की जमकर खरीदारी हुई।
महालया पन्द्रह दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है। नवरात्र एवं पितृपक्ष की संधिकाल को महालया कहा जाता है। इस दिन पितरों को जल एवं पिंडदान कर विदाई दी जाती है। पितरों की विदाई के साथ मातृ पक्ष शुरू होता है। इस दिन मां दुर्गा का आह्वान कर अगले दिन कलश स्थापना कर पूजा शुरू की जाती है। ज्योतिष राकेश मिश्र बताते हैं कि महालया बंगाल में बहुत खास है। लेकिन यहां भी लोग महालया पर मां दुर्गा की पूजा करते हैं। महालया मां दुर्गा के आगमन का दिवस है। लोग पितरों को विदाई देकर माता का आह्वान कर पूजा की तैयारी में जुट जाते हैं। मान्यता है कि महालया के दिन से ही मूर्तिकार प्रतिमा का रंग-रोगन शुरू करते हैं। कुछ पूजा केंद्रों पर आंख को भी आकार दिया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार 15 अक्टूबर से शारीदय नवरात्र शुरू हो रहा है। कलश स्थापना का शुभ मुर्हूत सुबह 7.26 से 11.44, दोपहर 1.10 से दोपहर 2.36 तक एवं अभिजीत मुर्हूत में दिन के 11.22 से दोपहर 12.08 बजे तक है।
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