पटना: तुलसी की खेती जिले के किसानों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायेगी। जिले के किसानों का तुलसी की खेती के प्रति रुझान बढ़ने लगा है। इसे बढ़ावा देने के लिए फसल विविधिकरण योजना के तहत तुलसी उत्पाद का चयन किया गया है। किसानों की मांग पर जिला उद्यान विभाग की ओर से 80 हेक्टेयर भूमि में तुलसी की खेती करने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही योजना के चयनित किसानों की ओर से तुलसी की खेती शुरू कर दी जाएगी। सरकार इसपर किसानों को अनुदान भी देगी। इसके लिए अलग-अलग कलस्टर बनाया गया है।
सभी कलस्टर में करीब 10-11 गांवों के किसानों का चयन किया गया है। प्रथम चरण में कोचस प्रखंड की कुछ पंचायतों में तुलसी खेती की योजना है। योजना के तहत प्रति हेक्टेयर किसानों को 75 हजार अनुदान का प्रावधान किया गया है। खेती में प्रति एकड़ पांच हजार रुपए खर्च पर 36 हजार का मुनाफा कमा सकते हैं। इस कारण कोचस प्रखंड के किसानों ने खरीफ-रबी के साथ-साथ अब औषधीय खेती में रुचि ले रहे हैं। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोचस प्रखंड के कुछिला, अगरसी डिहरा, नरवर, लहेरी, नौवां, रूपीबांध, उपधी, रेड़ियां, कपसियां, कंजर आदि पंचायतों को मिलाकर कलस्टर बनाया गया है, जिसमें करीब तीन दर्जन गांवों को शामिल किया गया है। आजीविका का साधन बन चुकी आस्था की प्रतीक तुलसी की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक बड़ी पहल की है। सूबे के अन्य जिलों में तुलसी की खेती को काफी हद तक बढ़ावा दिया जा रहा है। इसबार जिले में भी तुलसी की खेती की शुरुआत होगी।
अधिकारियों के अनुसार औषधीय महत्व के इस पौधे के उत्पादन के अवसर फसल विविधिकरण योजना में शामिल करने के बाद से और बढ़ गए हैं। इससे बनने वाली दवा, माला और सांस्कृतिक क्रिया कलापों में भी प्रयोग किए जाते हैं। इसके हर अंग के प्रयोग में आने की वजह से लोगों के सामने बेहतर अवसर रोजगार के साथ ही आय दोगुना करने के प्रयास भी रंग लाएंगे। तुलसी की काफी महत्व है। आज भी हर आंगन में लोग गमला में तुलसी की पौधा लगाकर पूजा-अर्चना करते हैं।
रोहतास की जिला उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि जिले के किसानों की मांग पर इसबार 80 हेक्टेयर भूमि में तुलसी की खेती करने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। कोचस प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के किसानों का चयन कर कलस्टर बनाया गया है, जिसके माध्यम से तुलसी की खेती होगी। लक्ष्य प्राप्त होते ही संबंधित किसानों की ओर से तुलसी की खेती की जाएगी।
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