पटना: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जमुई सांसद चिराग पासवान और हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस के बीच टकराहट की स्थिति बन रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी दो भागों में बट गई है। एक दल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चाचा पशुपति कुमार पारस हैं तो दूसरे दल लोजपा रामविलास के नेता भतीजा चिराग पासवान हैं। हाजीपुर की लोकसभा सीट पर दोनों ही अपना अपना दावा पूर्व से करते आ रहे हैं। इस बीच जमुई सांसद चिराग पासवान ने एक बार फिर हाजीपुर पर अपना दवा ठोकर चाचा की परेशानी बढ़ा दी है।
अपने लोकसभा क्षेत्र जमुई में चिराग पासवान ने कहा कि हाजीपुर उनके पिता की परंपरागत सीट है। इस नाते उनका अधिकार बनता है। हाजीपुर की जनता से उनका पारिवारिक रिश्ता है। ऐसे में वह और उनकी पार्टी हाजीपुर से दूर नहीं रख सकते। उन्होंने अपनी मां रीना पासवान के हाजीपुर से चुनाव लड़ने की बात बताई।
जमुई को लेकर चिराग ने कहा कि मैं यहां की जनता को कैसे निराश कर सकता हूं। जमुई के लोग मुझे बहुत प्यार देते हैं इसलिए इस सीट पर भी लोजपा रामविलास चुनाव लड़ेगी। चिराग पासवान खुद वहां मैदान में उतरेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पार्टी की संसदीय बोर्ड जो फैसला लेगी वह सबको मान्य होगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि हाजीपुर को लेकर चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस क्यों जिद पर अड़े हुए हैं। दरअसल हाजीपुर चिराग पासवान के पिता और पशुपति कुमार पारस के बड़े भाई रामविलास पासवान की लंबे समय तक कर्म भूमि रही। 1977 के बाद उन्होंने आठ बार यहां जीत दर्ज की। यहीं से उन्होंने जीत का रिकार्ड भी बनाया। यह एक सुरक्षित सीट है जहां से विजय हासिल करना आसान है। रामविलास पासवान ने हाजीपुर के विकास के लिए काफी काम किया जिससे जनता के बीच उनकी पार्टी की पकड़ है। इसे चिराग पासवान या पशुपति कुमार पारस हाथ से जाने देना नहीं चाहते।
दोनों ही नेता की पार्टी एनडीए के घटक हैं। पिछले दिनों बीजेपी और खासकर नरेंद्र मोदी ने चाचा भतीजा को को एक साथ लाने की कोशिश की। दिल्ली में आयोजित एक मीटिंग में दोनों को गले भी मिलवाया गया उसके बाद स्थिति थोड़ी सामान्य हो रही थी। इस बीच चिराग पासवान की इस नई घोषणा ने माहौल को गर्म कर दिया है। हाजीपुर की सीट पर अगर चाचा भतीजा एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं तो 2024 का चुनाव काफी दिलचस्प होगा।
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