पटना: बिहार में जातीय गणना रिपोर्ट जारी होते ही सियासत भी जोर मार रही है। और अब हिस्सेदारी के अनुसार भागीदारी की मांग उठने लगी है। लेकिन हम (सेक्यूलर) के संस्थापक जीतन राम मांझी ने तो सीएम नीतीश से अनोखी डिमांड कर डाली है। उन्होने मुख्यमंत्री नीतीश से मंत्रिमंडल बर्खास्त कर जातीय गणना के आधार पर मंत्री परिषद गठन की मांग की है। और संख्या के अनुसार भागीदारी की डिमांड की है। जातीय गणना रिपोर्ट पर मंगलवार को हुई सर्वदलीय बैठक में भी जीतन मांझी ने इस मुद्दे को उठाया था।
जीतन मांझी ने सर्वदलीय बैठक में भी अपने जाति समूह, मांझी की आबादी में गिरावट पर चिंता व्यक्त की थी। जो बिहार में अनुसूचित जाति के कमजोर वर्गों में से एक है। मांझी ने कहा कि जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट में कुछ विसंगति हो सकती है। क्योंकि मांझी की वास्तविक जनसंख्या रिपोर्ट में बताई गई 3.08% से कहीं अधिक है। मांझी ने इससे पहले ट्वीट कर कहा था कि “बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में SC/ST,OBC,EBC की आबादी तो बहुत है पर उनके साथ हकमारी की जा रही है। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि राज्य में आबादी के प्रतिशत के हिसाब से सरकारी नौकरी/स्थानीय निकायों में आरक्षण लागू करें, वही न्याय संगत होगा”।
वहीं इस मामले पर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने भी जातीय गणना के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने की वकालत की है। दिल्ली में दिए गए बयान में उन्होने कहा कि जैसी संख्या आई है उस अनुपात में आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाएगा। बीजेपी ने इतने दिन तक हक मारा। अब उसकी हकमारी पकड़ में आ गई है। बिहार में हम लोगों जातीय गणना कराई है। यह अब पूरे देश में होनी चाहिए। इससे पूरे देश के गरीबों को, दलितों को लाभ होगा, सबको वाजिब हक मिलेगा।
जातीय गणना रिपोर्ट पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। जहां बीजेपी इस रिपोर्ट को आधी-अधूरी और आंकड़ों में हेराफेरी बता रही है। तो वहीं महागठबंधन के दल जातीय गणना रिपोर्ट पर सरकारी नौकरी से लेकर तमाम मंचों पर संख्या के हिसाब से भागीदारी की मांग कर रहे हैं। जिस, पर सीएम नीतीश कुमार ने भी जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर राज्य की आबादी के हित में काम करने के लिए सभी दलों की राय लेने और वंचित वर्गों का उत्थान की बात कही है।
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