बेतिया: बिहार में शिक्षा की हालत को बेहतर करने के लिए लगातार शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक प्रदेश के स्कूलों का दौरा और औचक निरिक्षण कर रहे हैं। लेकिन, बिहार के कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां छात्रों के लिए सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं हैं। बिहार के सरकारी विद्यालयों का क्या हाल है जहां छोटे-छोटे बच्चे किस तरह से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इसे देखकर आपको एहसास होगा कि इन बच्चों के साथ एक तरह से अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।
दरअसल बेतिया के इस स्कूल में छोटे-छोटे बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा पा रहे हैं. शिक्षा विभाग का अमानवीय व्यवहार ऐसा कि इन नोनिहालों को तपती धूप में पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
बेतिया जिले के मझौलिया का राजकीय उत्क्रमित मध्य विधायल वृति टोला के छात्र-छात्राओं की यह तस्वीर देखें छोटे-छोटे बच्चे तपती धूप हो या बरसात पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. इनके पास ना ही डेक्स है और ना ही बेंच है. बोरे पर बैठकर ये छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. इस विद्यालय के पास अपना भवन नहीं है. वर्ग एक से वर्ग आठ तक विद्यालय है. बच्चों की नमांकित संख्या करीब 265 है. प्रतिदिन 200 बच्चे विद्यालय आते हैं. स्कुल में 9 शिक्षक-शिक्षिकाएं भी है. लेकिन, बच्चे बुनियादी सुविधा से महरूम हैं।
ये बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे है जो पढ़ना चाहते हैं. कुछ बनना चाहते हैं लेकिन इनके पास अपना क्लास रूम तक नहीं है. यही बच्चे देश के भविष्य का निर्माण करेंगे. लेकिन, शिक्षा विभाग की नजर इस विद्यालय पर नहीं पड़ रही है. स्कुल के प्रधानाचार्य आदित्य नरायण बताते हैं 2018 से लगातार पत्राचार किया जा रहा है लेकिन, अभी तक विद्यालय का जीर्णोद्धार नहीं हुआ है. बच्चे बरसात में स्कूल नहीं आते हैं. धूप तेज हो जाती है तो भी बच्चे चले जाते हैं. छात्र-छात्राओं का कहना है की पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. सरकार हमें सुविधा दे ताकि हमलोग पढ़ लिखकर कुछ बन सकें।
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