बिहार: भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कान्हा बाल लीला के समय गोपियों की हांडी से माखन या दही खाया करते थे। इस लीला को द्वापर युग से ही दही हांडी उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है। जिसे दही हांडी के नाम से जाना जाता है। चलिए साल 2023 में दही हांडी उत्सव की तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व जानते हैं।
कब मनाया जाएगा दही हांडी का पर्व?
इस साल 6 सिंतबर 2023 को जन्माष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा और इसके अगले दिन यानी 7 सिंतबर को दही हांडी का उत्सव मनाया जाएगा।
दही हांडी उत्सव का पारंपरिक महत्व: दही हांडी उत्सव को भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं में प्रचलित है कि कान्हा को दूध, दही और माखन बेहद प्रिय है। बचनप में वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर आस-पड़ोस के घरों में जाकर माखन चुराते थे। इसलिए उन्हें माखन चोर भी कहा जाता है। माखन चोरी होने से परेशान होने पर गोपियों ने माखन को एक मिट्टी के बर्तन में भरकर ऊंचे स्थान पर लटकाना शुरू कर दिया। लेकिन गोपियां असफल हुई और नटखट कान्हा अपने दोस्तों के साथ मिलकर तब भी माखन चुरा लिया करते थे और सभी दोस्त के साथ मिलकर बड़े चाव से माखन खाते थे। श्रीकृष्ण की इस बाल लीला को ही दही हांडी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
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