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जाति गणना के सभी आंकड़े सार्वजनिक होंगे, नीतीश कुमार बोले- बिहार पूरे देश में रोल मॉडल बनेगा

पटना: बिहार में जाति आधारित गणना के सभी सार्वजनिक किए जाएंगे। सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को यह घोषणा की है। उन्होंने कहा कि बिहार की जातिगत सर्वे पूरे देश में रोल मॉडल बनेगा। राज्य में गणना का काम पूरा हो चुका है। प्रगणकों द्वारा इकट्ठा किए गए डाटा की पोर्टल पर एंट्री भी कर दी गई है। अब डाटा का विश्लेषण किया जा रहा है। इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी। सीएम नीतीश ने कहा कि सभी आंकड़ों को सरकार सार्वजनिक करेगी। इससे पहले भी कर्नाटक और राजस्थान में जातिगत गणना हो चुकी है, लेकिन वहां आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे।

Caste census survey 20 percent work remaining in Bihar know by when it will  be completed - बिहार में जातिगत गणना का 20 फीसदी काम शेष, जानिए कब तक होगा  पूरा , बिहार न्यूज

सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को पटना में  कहा कि हम सबकी जाति आधारित गणना पूरे देश में रोल मॉडल बनेगी। अब तो कई राज्यों में इसकी मांग उठने लगी है। बिहार सरकार सभी आंकड़ों को सार्वजनिक करेगी। सीएम ने कहा कि कुछ लोगों ने जाति आधारित  गणना में रोड़े अटकाने का काम किया, यह सभी को पता है। बता दें कि अभी सुप्रीम कोर्ट में जाति गणना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका विचाराधीन है। पटना हाईकोर्ट इसे हरी झंडी दे चुका है।

Ethnic census: population of more than 250 castes will be counted in the  state | जातीय गणना: सूबे में गिनी जाएगी 250 से अधिक जातियों की आबादी -  Dainik Bhaskar

राजस्थान और कर्नाटक में बाहर नहीं आई थी जाति गणना की रिपोर्ट
बिहार से पहले राजस्थान और कर्नाटक में भी लोगों की जातियां गिनी जा चुकी हैं। 2011 की जनगणना के दौरान राजस्थान की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने लोगों के साथ-साथ उनकी जातियों की भी गिनती करवाई थी। हालांकि, सरकार ने कभी इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए, सिर्फ आर्थिक और सामाजिक सर्वे की रिपोर्ट ही सार्वजनिक हुई थी।

 

 

इसी तरह कर्नाटक में भी 2014-15 में कांग्रेस की तत्कालीन सिद्धारमैया सरकार ने जातिगत गणना करवाई थी। इस पर विवाद हुआ तो नाम बदलकर आर्थिक और सामाजिक सर्वे किया गया। 2017 में इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई। मगर उसमें कई तरह की गड़बड़ियां सामने आईं। इसके बाद सरकार ने कभी भी इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए।

 

 

इन्हीं उदाहरणों को देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि अगर बिहार में जातिगत गणना के आंकड़े नीतीश सरकार के अनुरूप नहीं हुए, तो उन्हें भी दबा दिया जाएगा। हालांकि, अब सीएम नीतीश कुमार ने खुद इस बारे में स्पष्ट कर दिया है। सरकार सभी आंकड़ों को जनता के सामने रखेगी। इससे बिहार की जातिगत के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक स्थिति का पता चल सकेगा।

 

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