जहानाबाद: बिहार का हर जिला ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। ऐसे ही जहानाबाद भी है। ये जिला पटना से 50 किलोमीटर की दूरी है। दरधा नदी जहानाबाद के बीचों-बीच बहती है। अगर पर्यटन की बात करें तो यहां कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। जिसमें से एक बराबर गुफा है।
जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित बराबर गुफा का ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों महत्व है। इसे स्थानीय लोग सतघरवा भी कहते हैं। मान्यताओं के मुताबिक ये वहीं गुफा है जिसे पुराण में सतघर कहा गया है। ये गुफाएं, कर्ण गुफा, सुदामा की गुफा, लोमश ऋषि गुफा, विश्वामित्र की गुफा, नागार्जुनी गुफा, गोपी गुफा और वैदिक गुफा है। बराबर गुफाओं की सरंचना की बात करें तो इसमें ज्यादातर दो कक्षों की बनी हैं। जिसे ग्रेनाइट को तराशकर बनाया गया है। गुफाओं के प्रवेश द्वार पर सम्राट अशोक के समय के शिलालेख आज भी देखने को मिलते हैं।
अगर गुफाओं की मान्यता की बात करें तो सभी की अलग-अलग कहानियां हैं। कर्ण गुफा को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां दानवीर कर्ण अंग प्रदेश का काराज बनने के बाद यहां आया था। सुदामा गुफा के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र के लिए इसे बनाया था। विश्वामित्र गुफा में भगवान राम, लक्ष्मण के साथ ऋषि विश्वामित्र यहां आए थे। तीनों ने यहां रात में रुककर आराम किया था। नागार्जुन गुफा के बारे में कहा जाता है कि बौद्ध धर्म के गुरु नागार्जुन यहां पर रहा करते थे। गोपी गुफा का निर्माण राजा दशरथ ने करवाया था और वैदिक गुफा में राजा शार्दूल बर्मण और आनंद बर्मण ने देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की थी।
बराबर गुफा हिंदू धर्म के लिए भी बेहद खास है। दरअसल इसी पहाड़ी की चोटी पर सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए शिवभक्तों को 3 से 4 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
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