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दिखने लगा केके पाठक की सख्ती का असर, 52% स्कूलों में बढ़ी बच्चों की हाजिरी

पटना: बिहार के स्कूलों में प्रतिदिन निरीक्षण व्यवस्था लागू होने के बाद से बच्चों की उपस्थिति में काफी सुधार आया है। स्कूलों का निरीक्षण एक जुलाई, 2023 से शुरू हुआ तो चौंकाने वाला सच सामने आया। निरीक्षण रिपोर्ट से पता चला कि राज्य में करीब 64 प्रतिशत ऐसे स्कूल हैं, जहां पर आधे से भी कम बच्चे आ रहे हैं। अब ऐसे स्कूलों की संख्या 64 प्रतिशत से घटकर 12 प्रतिशत हो गई है।

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75 हजार से अधिक सरकारी स्कूल  
राज्य में 75 हजार से अधिक सरकारी स्कूल हैं। इनमें करीब 25 हजार स्कूलों में प्रतिदिन शिक्षा विभाग के अफसर और कर्मी निरीक्षण में जाते हैं। विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने यह व्यवस्था बनाई है। निरीक्षण के दौरान मुख्य रूप से स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति की जांच होती है। प्रखंड और जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश है कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उनलोगों पर कार्रवाई होगी। वेतन भी बंद किया जाएगा। हालांकि, निरीक्षण के बाद भी जितना सुधार प्रारंभिक स्कूलों में हुआ है, उसके अनुपात में माध्यमिक-उच्च माध्यमिक में नहीं हुआ है।

पहले क्या थी स्थिति?
जुलाई के दूसरे सप्ताह तक 50 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले प्रारंभिक स्कूलों (कक्षा एक से आठ) की संख्या 16 प्रतिशत हो गई थी। वहीं, इस अवधि में 46 प्रतिशत माध्यमिक-उच्च माध्यमिक स्कूलों में 50 प्रतिशत से भी कम बच्चे आ रहे थे। वहीं, अगस्त के पहले सप्ताह की निरीक्षण रिपोर्ट बताती है कि प्रारंभिक के 10 प्रतिशत तो माध्यमिक-उच्च माध्यमिक के 34 प्रतिशत स्कूल हैं, जहां अब भी 50 प्रतिशत से कम बच्चे आ रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ ऐसे स्कूल जहां 75 प्रतिशत से अधिक बच्चों की उपस्थिति रहती है, उनकी संख्या एक महीने में डेढ़ प्रतिशत से बढ़कर दस प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा अन्य स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 से 75 प्रतिशत के बीच रहती है।

 

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