भागलपुर: बिहार का भागलपुर जिला शिवभक्तों के लिए खास है। यहां का अजगैबीनाथ मंदिर का संबंध देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर से है। श्रद्धालु अजगैबीनाथ मंदिर में पूजा करने के बाद जल भरकर देवघर में चढ़ाते हैं। अजगैबीनाथ मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में भक्त पूजा अर्चना करने आते हैं। इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है।
बाबा धाम जाने वाले श्रद्धालु अजगैबीनाथ मंदिर में जलार्पण जरूर करते हैं। लेकिन खास बात यह है कि इस मंदिर के महंत या पुजारी देवघर में जल चढ़ाने नहीं जाते हैं। इसके पीछे एक अनोखी परंपरा है जो सालों से चली आ रही है। मंदिर के महंत प्रमानंद गिरी के मुताबिक करीब 500 साल पहले महंत सिद्धनाथ भारती और उनके शिष्य केदारनाथ भारती सुल्तानगंज से जल भरकर हर दिन बाबा बैजनाथ धाम जाया करते थे। इस पर एक बार भगवान शिव ने वेष बदलकर महंत की परीक्षा लेनी चाही और साधू बनकर उनसे पानी पिलाने को कहा।
इस पर दोनों महंतों ने कहा कि ये संकल्प किया हुआ जल है जो सिर्फ बाबा बैजनाथ में ही चढ़ेगा। महंतों ने इसकी दूसरी जगह का पानी पिलाने के लिए कहा। लेकिन साधू ने इंकार कर दिया। इसके बाद भगवान शिव ने अपने रूप में आकर दोनों को दर्शन देते हुए कहा कि उन्हें प्रतिदिन देवघर आने की जरूरत नहीं है। वह अजगैबीनाथ में ही रहते हैं। बस श्रृंगार के वक्त देवघर आते हैं। भगवान शिव ने महंतों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि अजगैबीनाथ मंदिर में पिंड के पास ही की उनके भी दो पिंड रहेंगे। जिस पर जलार्पण के बाद ही भक्तों को शिव का आशीर्वाद मिलेगा। इसके बाद से ही सावन में अजगैबीनाथ में तीन पिड़ियों पर जल चढ़ाने के बाद से ही कांवड़िये देवघर जाते हैं।
ग्रेनाइट पत्थर पर बसा मंदिर
अगजैबीनाथ मंदिर ग्रेनाइट पत्थर पर बना हुआ है। मंदिर की संरचना एक नाव की तरह है। मंदिर के शिखर पर ध्वज लगा है। जिसे रानी कलावती ने 1885 में दान के रूप में दिया था।
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