गया: बिहार का गया जिला बेहद खास है। ये स्थान जितना बौद्ध धर्म के लिए खास है उतना ही हिंदू धर्म के लिए प्रसिद्ध है। दरअसल फल्गु नदी के किराने लोग पुरखों के मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंड दान करते हैं। यहां देश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक विष्णुपद मंदिर स्थापित है। इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी मिलता है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक गयासुर नाम के एक राक्षस को वरदान प्राप्त था कि जो भी उसकी तरफ देखेगा मोक्ष की प्राप्ति होगी। इस कारण गलत होने के बाद भी लोग उसे देखकर मोक्ष लेने लगे। इस पर भगवान विष्णु ने गयासुर के सिर पर अपना दाहिना पैर रखकर उसे चट्टान पर धकेल दिया। इस कारण वहां पांव का निशान पड़ गए। तब से इस स्थान की पूजा होता है। वहीं, इतिहासकरों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने करवाया था।
विष्णुपद मंदिर के भीतर 40 सेमी लंबे पदचिह्न देखने को मिलता है। गर्भगृह मं चांदी का अष्टकोण कुंड स्थापित है। वहीं मंदिर की ऊंचाई की बात करें तो यह करीब 100 फीट है। वहीं सभा मंडप में 44 पिलर हैं। विष्णुपद मंदिर का निर्माण काले ग्रेनाइट पत्थरों से हुआ है। जिसे जयपुर के शिल्पकारों ने तराशा है। मंदिर परिसर में कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं। जो भगावन नरसिंह और भगवान शिव के फ्लगीश्वर अवतार को समर्पित है।
विष्णुपद मंदिर के परिसर में एक प्राचीन धूप घड़ी भी है। जो 150 साल से पुरानी बताई जाती है। यह एक पत्थर के खंभानुमा आकार में ऊपरी भाग पर बना हुआ है। यहां आने वाले तीर्थयात्री इस घड़ी का दीदार जरूर करते हैं। खास बात यह है कि बिनाक कांटे और बैट्री की चलने वाली ये अभी भी वक्त बताता है।
गया के अन्य टूरिस्ट स्पॉट
गया के अन्य टूरिस्ट प्लेस की बात करें तो मंगला गौरा, प्रेतशिला, कुर्किहार, सीता कुंड, दशरथ मांझी स्मारक, 60 फीट बुद्धा, महाबोधि मंदिर, डुंगेश्वरी गुफा, तपोवन और सुजाता गढ़ समेत कई अन्य स्थल हैं।
कैसे पहुंचे
बिहार के प्रमुख शहरों के लिए गया के लिए सीधे ट्रेन या बस की सुविधा मिल जाएगी। राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा होने के कारण आप कैब से भी आ सकते हैं। वहीं गया के नजदीकी एयरपोर्ट गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो महाबोधि मंदिर से करीब 11 किलोमीटर दूर है।
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