भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेट कप्तान और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली का आज जन्मदिन है। 8 जुलाई 1972 को कोलकाता के बेहला में जन्मे सौरव गांगुली 51 साल के हो गए हैं। सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे हैं, जिन्हें लोग प्यार से ‘दादा’ बुलाते हैं. सौरव गांगुली ने ना सिर्फ विदेशी धरती पर भारत को जीत का स्वाद चखाया बल्की भारतीय टीम को दादागिरी भी सिखायी।
सौरव गांगुली को जब कप्तानी मिली तो टीम इंडिया संकट के दौर से गुजर रही थी. सौरव गांगुली ने अपनी कप्तानी में न सिर्फ टीम को संकट से उबारा बल्कि बुलंदियों पर ले गए. दादा ने ही सहवाग, युवराज और धोनी जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका देकर देश की सर्वश्रेष्ठ टीम की नींव रखी थी. हालांकि, गांगुली का करियर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. आज उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानतें हैं उनकी करियर की पूरी कहानी.
सौरभ गांगुली ने साल 1989 में रणजी में डेब्यू किया. इसके बाद उन्होंने 11 जनवरी 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था. हालांकि, महज एक मैच के बाद ही गांगुली को टीम से ड्रॉप कर दिया गया. उन पर आरोप लगा कि वह घमंडी हैं. हालांकि, बाद में यह आरोप गलत साबित हुआ. गांगुली ने फिर जून 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू मैच खेला था. गांगुली ने लॉर्ड्स में खेले गए मैच में 301 गेंदों का सामना करते हुए 131 रन बनाए थे. उन्होंने डेब्यू में शतक लगाकर सभी को चकित कर दिया था. जिसके बाद जब वह भारत लौटे तो उन्हें ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ कहके पुकारा गया.
साल 2000 में जब भारतीय क्रिकेट में फिक्सिंग का खुलासा हुआ तो टीम का भविष्य अंधेरे में खोने जा रहा था. ‘मास्टर ब्लास्टर’ सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी करने से माना कर दिया. तब सौरव गांगुली ने आगे बढ़कर टीम की कमान थामी. दादा की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम का नया अध्याय शुरू हुआ. दादा ने भारतीय टीम बेखौफ होकर खेलना सिखाया, जिससे टीम विरोधी टीमों को उनके घरों में मात देने लगी. गांगुली 2000 से 2005 तक भारत के कप्तान रहे।
हालांकि उनकी एक छोटी सी भूल कहे या गलत इंसान पर भरोसा, जिससे गांगुली की न सिर्फ कप्तानी गई बल्कि वह टीम से भी बाहर हो गए. यह भूल थी ग्रेग चैपल को टीम इंडिया का कोच बनाना. यह घटना है साल 2004 की जब भारतीय टीम में जॉन राइट के बाद नए कोच की तलाश हुई थी. तब ग्रेग चैपल की एंट्री हुई और ड्रेसिंग रूम का माहौल बिगड़ा. गांगुली के करियर का यह सबसे मुश्किल क्षण था. उन्होंने इसके बारे में अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘अ सेंचुरी इज नॉट इनफ’ में विस्तार से बताया है.
सौरव गांगुली ने अपनी किताब में ग्रेग चैपल से अपनी मुलाकात लेकर टीम इंडिया में हुई अनबन तक को खुलकर बताया है. गांगुली लिखते हैं कि उनके पिता चंडीदास गांगुली ने एक बार संन्यास तक लेने की सलाह दे दी थी. उन्होंने सौरव की टीम में वापसी की उम्मीद छोड़ दी थी. फिर भी सौरव गांगुली ने हार न मानी और तय किया वह टीम में वापसी के लिए और कड़ी मेहनत करेंगे. लेकिन अगले करीब दो साल भारतीय क्रिकेट के लिए काला अध्याय जैसे रहा. खिलाड़ियों और कोच में आरोप प्रत्यारोप का दौर चला. इस उठापटक के बाद ग्रेग चैपल की समय से पहले छुट्टी हो गई. साथ ही दादा पर भी गाज गिरी. उन्हें टीम से ड्रॉप किया गया और उनकी कप्तानी भी चली गई थी.
अगर सौरव गांगुली के ओवर ऑल करियर पर नजर डालें तो वह विश्व में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में वह नौवें स्थान पर हैं. उन्होंने 113 टेस्ट मैचों में 7212 रन बनाए हैं. इस दौरान 16 शतक और 35 अर्धशतक जड़े. वे दोहरा शतक भी लगा चुके हैं. उन्होंने 311 वनडे मैचों में 11363 रन बनाए हैं. इस दौरान 22 शतक और 72 अर्धशतक लगाए हैं. गांगुली ने दो बार 150 का आंकड़ा भी पार किया और 183 उनका सर्वाधिक स्कोर है.
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