बेतिया, 01 जुलाई। जिले के भीतहाँ पीएचसी में 45 फाइलेरिया (हाथीपाँव) मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल के उपाय बताते हुए निःशुल्क एमएमडीपी किट उपलब्ध कराई गई। ताकि वे फाइलेरिया से ग्रसित अंगों की देखभाल अच्छी तरह कर सकें। फाइलेरिया इंचार्ज राजकुमार शर्मा ने पीएचसी पर आए लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद लोगों में कई वर्ष के बाद भी हाथीपांव, बढ़े हुए हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तनों में सूजन इत्यादि के लक्षण दिखाई देते हैं। जिसका कोई इलाज नहीं होता है। उन्होंने बताया कि लोगों को फाइलेरिया से बचाव को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एमडीए अभियान के दौरान सर्वजन दवा निःशुल्क खिलाई जाती है। इसका सेवन कर फाइलेरिया के खतरों से बच सकते हैं। वहीं केयर इंडिया के बीसी श्याम सुंदर कुमार ने बताया कि जल जमाव व गंदगी के कारण मच्छर पनपते हैं। इनको खत्म करने के लिए घरों के आसपास की साफ- सफाई एवं मछड़दानी का प्रयोग करें। एमएमडीपी किट वितरण करते हुए उन्होंने बताया कि किट में एक छोटा टब, मग, साबुन, एंटी सैप्टिक क्रीम, पट्टी इत्यादि सामान होते हैं। इसके सहयोग से फाइलेरिया मरीज अपने जख्म को ठीक कर सकते हैं। जिससे उन्हें काफी राहत मिलती है। श्यामसुंदर कुमार ने बताया कि जिले के भीतहाँ प्रखंड में हाथीपाँव के 88 मरीज है। वहीं जिले में 2635 हाथीपाँव के एवं हाइड्रोसील के 538 मरीज हैं।
कई वर्षो बाद भी देखे जाते हैं इसके लक्षण:
सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि फाइलेरिया रोग को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया कि क्यूलेक्स मच्छर जब किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वो संक्रमित हो जाता है। फिर जब वही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उस व्यक्ति में खून के जरिये विषाणु प्रवेश कर जाता। फिर वो स्वस्थ व्यक्ति भी फाइलेरिया से ग्रसित हो जाता है। उन्होंने बताया कि कभी कभी फाइलेरिया मरीजों में कई वर्षो बाद भी हाथीपांव का लक्षण बढ़े हुए हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तनों में सूजन इत्यादि के रूप में दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी में शरीर अपंग की तरह हो जाता है।
फाइलेरिया से बचाव को बरतें सावधानियां:
- मच्छरों से फैलने वाले इस बीमारी से बचने में सबसे कारगर तरीका है कि सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। अपने घर के अंदर, बाहर एवं आस-पास सफाई पर ध्यान दें।
- ध्यान रखें कि कहीं भी पानी जमा ना होने पाए। बीच-बीच में कीटनाशक का छिड़काव करते रहें। फुल बाँह के कपड़े पहने रहें।
- सोने के समय अपने शरीर के खुले भागों पर तेल या क्रीम लगाएं।
- शरीर में कहीं घाव हो या चोट लगी हो तो उसे साफ रखें और उस पर दवा लगाएं।
Be First to Comment