पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में लगे हुए हैं. 12 तारीख को होने वाली बैठक को लेकर कई विपक्षी पार्टियों को न्योता भी भेजा जा चुका है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी का भी इसको लेकर बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने पटना में आयोजित होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस को भी न्योता दिया है, जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया है.
ऐसे मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने वाले जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर कई बार कह चुके हैं कि आज नीतीश कुमार क्या कर रहे हैं? इस पर ज्यादा बोलने का कोई मतलब नहीं है. आज से पांच साल पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, चंद्रबाबू नायडू वो इसी भूमिका में थे जिस भूमिका में आज नीतीश कुमार आने का प्रयास कर रहे हैं. नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू उस समय बहुमत की सरकार चल रहे थे, जबकि नीतीश कुमार तो 42 विधायक के साथ आज लंगड़ी सरकार चला रहे हैं.
प्रशांत ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू उस दौर में पूरे देश का दौरा करके विपक्ष को एकजुट कर रहे थे. इसका नतीजा ये हुआ कि आंध्र प्रदेश में उनके सांसद घटकर 3 हो गए. सिर्फ 23 विधायक जीते और वह प्रदेश की सत्ता से ही बाहर हो गए. नीतीश कुमार को बिहार की चिंता करनी चाहिए. नीतीश कुमार का खुद का ठिकाना नहीं है, आज राजद पार्टी के बिहार में जीरो एमपी है, वो देश का प्रधानमंत्री तय कर रहा है. जिस पार्टी का खुद का ठिकाना नहीं है वो देश की दूसरी पार्टियों को इकट्ठा कर रहा है.
हाल ही में नीतीश कुमार के हुए पश्चिम बंगाल दौरे की पोल खोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार से ये पूछना चाहिए कि क्या ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ काम करने को तैयार है? क्या नीतीश कुमार और लालू TMC को बिहार में एक भी सीट देने को तैयार हैं? आज क्या नीतीश कुमार हमसे ज्यादा ममता बनर्जी को जानते हैं? पश्चिम बंगाल में नीतीश कुमार को पूछता कौन है? आप मेरी बातों को लिखकर रख लीजिए, नीतीश कुमार का भी वही हाल होगा जो चंद्रबाबू नायडू का हुआ था.
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