सीतामढ़ी: बाल मन एक खाली ब्लैकबोर्ड होता है। इस पर कुछ अंकित हो जाए तो वह बातें आजीवन उसके याद और आदत में शामिल हो जाती है। ऐसा ही कुछ सीतामढ़ी जिले के स्कूली बच्चों के मन रूपी ब्लैक बोर्ड पर आजकल टीबी को लेकर अंकित हो रहा है। यह न सिर्फ बच्चों के लिए फायदेमंद है बल्कि टीबी उन्मूलन पर जागरूकता के लिए भी नई पौध तैयार करने जैसा है। इसका हालिया उदाहरण विश्व टीबी दिवस में देखने को मिला था, जब कस्तूरबा विद्यालय की छात्राएं भी टीबी के लक्षण को जानती थी। प्रखंड स्तर पर हुए टीबी क्विज में सबसे ज्यादा सही जवाब देने वालों में छात्राएं ही थी। इसके अलावा भी अन्य छात्र-छात्राओं के बीच भी टीबी को लेकर गहरी और संवेदनशील समझ थी। इस क्विज प्रतियोगिता में पांच सौ से भी ज्यादा स्कूली बच्चों ने जिला में भाग लिया था। जिसमें 16 प्रखंडों में करीब 48 बच्चों को पुरस्कृत किया गया।
स्कूल में ही जाना टीबी के बारे में:
टीबी क्विज में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली मेजरगंज कस्तूरबा विद्यालय की छात्रा चांदनी कुमारी ने बताया कि उसने टीबी के बारे में ऐसे तो सुना था, पर यह बीमारी कितनी खतरनाक है, इसके बारे में विद्यालय में ही एक बार सुना था। स्वास्थ्य विभाग के कुछ लोग सभी को टीबी पर जानकारी देने आए थे। सारी बातें समझ में आयी। उस दिन मैंने सभी सुनी हुई बातें कॉपी में नोट कर ली थी। कहीं भी टीबी बीमारी का नाम सुनती तो अपने टीबी पर जानकारी को सबके सामने रख देती। चांदनी कहती हैं कि अगर कहीं मैं इसके लक्षण वाले व्यक्ति को मिलूंगी या देखूंगी तो उन्हें सरकारी अस्पताल में जाने की सलाह जरूर दूंगी। कुछ ऐसी ही बातें सुरसंड की अनन्या रोशनी, सोनवर्षा के दीपक कुमार, परिहार की रिफअत खातून ने भी सुनाई।
विभाग जागरूकता को हर स्तर पर कर रहा प्रयास:
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मुकेश कुमार ने कहा कि टीबी के प्रति नई पौध को जागरूक करना सबसे महत्वपूर्ण है। बच्चे इस जानकारी को बहुत आगे तक ले जाने में सक्षम हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम समय समय पर स्कूली बच्चों के बीच भी जागरूकता कार्यक्रम चलाती रहती है। जिससे जागरूकता हर स्तर पर समान रूप से विभक्त हो।
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