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Gudi Padwa 2023: आज मनाया जा रहा है गुड़ी पड़वा, जानें इस पर्व की कथा और महत्व

गुड़ी पड़वा को संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है और इसका शाब्दिक अर्थ है नए साल का पहला दिन। उत्तर भारत में इसी दिन चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है। गुड़ी पड़वा एक मराठी शब्द है जो दो शब्दों से मिल कर बना है – ‘गुडी’, जिसका अर्थ है भगवान ब्रह्मा का ध्वज जिसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और ‘पड़वा’ का अर्थ है चंद्रमा के चरण। हिंदू पंचांग के अनुसार गुड़ी पड़वा के दिन ही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है। इस साल गुड़ी पड़वा पर्व आज यानि 22 मार्च को मनाया जा रहा है।

Gudi Padwa 2022: Gudi Padwa on 2 April know the importance of this festival  and its mythological stories - Astrology in Hindi - Gudi Padwa 2022: गुड़ी  पड़वा आज, जानें इस त्योहार

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया था और भगवान ब्रह्मा ने दिनों, सप्ताहों, महीनों और वर्षों बनाएं। मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम ने इसी दिन राजा बलि का वध कर लोगों को बलि के अत्याचार और आतंक से बचाया था।

इस दिन लगभग 5 फीट लंबी बांस की डंडे में नए कपड़े के टुकड़े बांधकर ध्वज या झंडा बनाया जाता है। उसके ऊपर नीम के पत्ते और मिश्री की बनी माला रखी जाती है। डंडे को चांदी या कांसे के बर्तन पर रखा जाता है। इसे बुराई को दूर करने वाले ध्वज के रूप में रखा जाता है। माना जाता है कि यह ध्वज समृद्धि को आमंत्रित करता है। इसे रखकर लोग पूजा करते हैं और नीम के पत्तों से बने प्रसाद का ग्रहण करते हैं।

उत्सव- इस दिन लोग सुबह जल्दी उठते हैं और घरों की ठीक तरह से साफ-सफाई करते हैं।
स्नान करते हैं और घर के गेट को खूबसूरत रंगोली डिजाइन और गुड़ी से सजाते हैं। महाराष्ट्र के लोग गुड़ी पड़ाव को नए साल के उत्सव के रूप में मनाते हैं। परिवार और दोस्तों के साथ इस पर्व का आनंद लेते हैं। इस दिन पूरन पोली और श्रीखंड को प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है। नव संवत्सर के पहले दिन नीम के पत्ते खाने की प्रथा है।

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