पटना: बिहार में आखिरकार कल यानी 7 जनवरी से जातिगत जनगणना का काम शुरू हो जाएगा। केंद्र सरकार के इनकार करने के बाद बिहार सरकार अपने खर्च पर जातिगत जनगणना कराने जा रही है। बिहार सरकार इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। जातिगत जनगणना का काम दो चरणों में होगा। पहले चरण में घरों की गिनती होगी, जबकि दूसरे चरण में जातियों को गिना जाएगा।
कल से शुरू हो रहे जातिगत जनगणना पर सीएम नीतीश ने कहा है कि इस गणना के जरिए सरकार जाति के साथ साथ लोगों के आर्थिक स्थिति की भी जानकारी लेगी ताकि आने वाले समय में उसके हिसाब से विकास का पैमाना निर्धारित किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर यह जातिगत जनगणना बिहार के साथ साथ पूरे देश में कराई गई होती तो समाज के हर तबके के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होता।
दरअसल, बिहार सरकार 7 जनवरी से जातिगत जनगणना कराने जा रही है। नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से पास करा चुकी है। बिहार सरकार लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रही थी हालांकि, केंद्र इसके खिलाफ रही। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह साफ कर दिया था कि देश में जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी। केंद्र का कहना था कि ओबीसी जातियों की गिनती करना लंबा और कठिन काम है।
केंद्र सरकार की तरफ से इनकार करने के बाद बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर बिहार में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया था। जातिगत जनगणना कराने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई है। इस साल मई तक जातिगत जनगणना का काम निपटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पहले चरण में घरों की गिनती होगी जबकि दूसरे चरण में जातियों की गिनती होगी। राज्य सरकार जातिगत जनगणना के सर्वे पर 500 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है, इसका बजट घट या बढ़ भी सकता है।
समाधान यात्रा पर शिवहर पहुंचे सीएम नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना को लेकर खुशी जताई। नीतीश ने कहा कि जातिगत जनगणना के लिए हर एक चीज की समीक्षा की गई है। काफी संख्या में लोगों को इसके लिए ट्रेंड किया गया है, जो एक-एक घर में जाकर हर चीज की जानकारी जुटाएंगे। बहुत से ऐसे लोग हैं जो जाति की जगह उपजाति बता देते हैं, इन सब चीजों को देखना होगा। नीतीश कुमार ने उम्मीद जताई है कि बिहार में जातिगत जनगणना का काम ठीक ढंग से पूरा कर लिया जाएगा। कर्मियों को इस बात की भी ट्रेनिंग दी गई है कि जो भी लोग हैं उनकी आर्थिक स्थिति को भी ठीक ढंग से देखना है ताकि सरकार को सभी जातियों के लोगों की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी मिल सके।
सीएम नीतीश ने कहा कि सिर्फ जातिगत गणना नहीं कराई जा रही है बल्कि इस गणना के जरिए हर एक आदमी की पूरी जानकारी सरकार के पास होगी। इसी के आधार पर सरकार तय करेगी कि विकास को गति देने के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है। हमलोगों की कोशिश थी कि राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना हो लेकर केंद्र के लोग नहीं चाहते थे, इसलिए अपने राज्य में करा रहे हैं और जातिगत जनगणना के बाद जो जानकारी सामने आएगी उसके बारे मे केंद्र को भी बताएंगे। पूरे भारत में अगर जातिगत जनगणना होती है तो यह पूरे देश के विकास के लिए र समाज के हर तबका के उत्थान के लिए बहुत ही फायदेमंद होता।
Be First to Comment