पटना: बिहार की राजधानी पटना स्थित पाटन देवी मंदिर को स्थानीय लोग मां पटनेश्वरी के मंदिर के रूप में भी जानते हैं। यह पटना में सबसे पुराना और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
इस मंदिर को भारत के 51 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पुराणों के अनुसार देवी सती की दाहिनी जांघ यहां गिरी थी। पटनेश्वरी देवी मंदिर देवी दुर्गा का मंदिर है जिसे सर्वानंद कारी पटनेश्वरी के नाम से जाना जाता था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती के सती होने के बाद जब भगवान शिव उनकी देह को लेकर तांड’व कर रहे थे तब भगवान विष्णु ने भगवान शंकर का गुस्सा शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता पार्वती के शरीर को काटा था। इस दौरान जहां पर माता पार्वती की दाहिनी जांघ गिरी वो जगह आज पटनेश्वरी देवी के रूप में जानी और पूजी जाती है। माना जाता है कि यह देवी दुर्गा का निवास स्थान है।
पटनेश्वरी मंदिर में विजयादशमी के अवसर पर मेला लगता है। दुर्गा पूजा के समय बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं। त्योहारों के दौरान लोग माता को भोग लगाने और भेट चढ़ाने के लिए तरह तरह की मिठाई, माला और फल लाते हैं। मंदिर में आपके द्वारा भेंट की गई फल मिठाई का कुछ हिस्सा भोग लगाकर बाकी का प्रसाद वापस दे दिया जाता है। इसके साथ ही पुजारी भक्तों के माथे पर रोली का टीका करते हैं।
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