कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीडब्लूसी को भंग कर नई स्टीयरिंग कमेटी बनाई है। इसमें देशभर से 47 नेताओं को शामिल किया गया है, जिनमें बिहार से दो नाम हैं। पहला तारिक अनवर और दूसरा पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार का। इसके अलावा बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को भी स्टीयरिंग कमेटी में शामिल किया गया है। अब सभी के मन में सवाल है कि कांग्रेस में हुए इस नए बदलाव से क्या बिहार में पार्टी का फिर से बेड़ा पार होगा?
बिहार में फिलहाल कांग्रेस आरजेडी के कंधे पर टिकी हुई है। कहने को तो कांग्रेस बिहार की सत्ता में भागीदार है, लेकिन उसका सरकार में कुछ खास वजूद नहीं है। राज्य में 19 विधायक कांग्रेस के हैं, मगर मंत्रिमंडल में सिर्फ तीन शामिल हैं। पार्टी भी अंदर से बिखरी हुई है। महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल गठन के दौरान कांग्रेस को कम प्रतिनिधित्व मिलने पर स्थानीय नेताओं ने नेतृत्व के खिलाफ जमकर नाराजगी जाहिर की थी।
बिहार कांग्रेस का होगा उत्थान?
देशभर में सत्ता के संकट से जूझ रही कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बदलाव हुआ है। सालों बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ और मल्लिकार्जुन खड़गे नए चीफ बने हैं। उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही पुरानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी को भंग कर दिया और नए सिरे से स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया। 47 सदस्यों वाली खड़गे की टीम में तारिक अनवर और मीरा कुमार को भी शामिल किया गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नए अध्यक्ष बिहार में कांग्रेस की बदहाली दूर करने के लिए बड़े कदम उठा सकते हैं।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की जड़ें बिहार से जुड़ी हुई हैं। सासाराम में उनका जन्म हुआ था। बाद में वे दिल्ली चली गई थीं। फिर उनकी शादी बिहार में ही हुईं। यूपी से उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, बाद में बिहार लौटकर सासाराम से सांसद भी रहीं, तभी उन्हें स्पीकर बनाया गया। मीरा कुमार पार्टी का बड़ा दलित और महिला चेहरा है। हालांकि संगठनात्मक रूप से उनका ज्यादा प्रभाव नहीं है।
तारिक अनवर की बात करें तो उन्होंने कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में कई साल राजनीति की थी। चार साल पहले वे कांगेस में वापस लौट आए। वे राहुल गांधी के खास माने जाते हैं। कटिहार लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। विभिन्न मंचों पर मोदी सरकार को घेरने में माहिर हैं। तारिक अनवर को कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी में शामिल होने से उनका कद बढ़ गया है। इसका फायदा प्रदेश कांग्रेस को जरूर मिलेगा।
बिहार में कब बदलेगी कांग्रेस की सूरत?
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव खत्म होने के बाद अब निगाहें प्रदेश कांग्रेस कमेटी पर टिक गई है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिहार कांग्रेस में संगठनात्मक रूप से बड़े बदलाव की जरूरत है।
पीसीसी चीफ मदन मोहन झा ए्क साल पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। मगर कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में वे पुरानी टीम के साथ अब भी काम कर रहे हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष, सचिव और महासचिव से लेकर छोटे लेवल पर पदाधिकारियों के पद खाली हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद स्थानीय नेताओं को बिहार में पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने के लिए बड़े फैसले की उम्मीद है।
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